मराठवाड़ा, विदर्भ के नाराज किसानों से मुश्किल में पड़ी बीजेपी

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान ख़त्म हो चुके हैं और शुक्रवार यानि 26 एप्रैल को दूसरे चरण के मतदान होने जा रहे हैं। इस दौरान बीजेपी भले ही 400 के आकड़ें को पार करने का दावा कर रही है लेकिन महाराष्ट्र के किसानों ने बीजेपी का सरदर्द बड़ा दिया है। मराठवाड़ा और विदर्भ के किसान बीजेपी से खासे नाराज हैं। हालांकि विदर्भ में चुनाव निपट गया है, लेकिन नतीजों पर कहीं असर न पड़ जाए, इसकी आशंका बनी हुई है।

कपास और सोयाबीन के गिरते दाम से परेशान किसान 

विदर्भ और मराठवाड़ा में मुख्य वजह है खरीफ फसलों के गिरते दाम है। कपास और सोयाबीन के दाम को लेकर किसान परेशान हैं। मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्रों में कपास, सोयाबीन और तूर प्राथमिक खरीफ फसलें हैं। यहां पर कई किसानों ने उच्च कीमतों की उम्‍मीदों में कपास की फसल को स्‍टोर करके रखा था। हालांकि, उनकी आशाओं के बावजूद, कपास की कीमतों में अप्रैल में भी गिरावट जारी रही। इससे उन्हें निराशाजनक दरों पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। लगातार दूसरे साल कपास की कीमतों में काफी गिरावट आई है। किसान 12,000 रुपये और 13,000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच कीमतों की उम्मीद कर रहे थे। जबकि मौजूदा दर गिरकर 6,800 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गई है।

किसानों की नाराजगी ने बढ़ाई बीजेपी नेताओंकी दिक्कत 

गिरते दामों से किसानों को लागत वसूल करने में भी मुश्किल आ रही है। कीटों का प्रभाव और ओलावृष्टि ने भी किसानों की फसल को बड़ी मात्रा में नुकसान पहुँचाया है। किसानों की नुकसान भरपाई में भी सरकार नाकाम रही है। विदर्भ मराठवाड़ा में किसानों की आत्महत्या के मामले भी बढ़ रहे हैं। ऐसे में सरकार की अनदेखी मतों पर प्रभाव डाल सकती है इसका डर बीजेपी उम्मीदवारों को सता रहा है।

बीजेपी ने बदली चुनावी रणनीति 

विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र के बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल-वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी निर्वाचन क्षेत्र में शु्क्रवार को वोटिंग होनी है। ये वो क्षेत्र हैं जो गंभीर कृषि संकट का सामना कर रहे हैं, जिससे किसानों में काफी असंतोष है। पहले चरण के मतदान की समीक्षा के दौरान, शुरुआती आंकड़ों से पता चला है कि किसानों के बीच यह अशांति बीजेपी उम्मीदवारों के लिए चुनौतियां खड़ी कर सकती है। दूसरे चरण के मतदान में इसी तरह के मुद्दों को कम करने के लिए बीजेपी नेता अब अपने अभियान में कपास की कीमतों के मुद्दे को प्राथमिकता दे रहे हैं।

फडणवीस ने सही दाम का दिलाया भरोसा 

यवतमाल जिले के रालेगांव में एक चुनावी रैली के दौरान महाराष्‍ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने किसानों को भरोसा दिलाया है कि वो कपास और सोयाबीन की गिरती कीमतों के बारे में चिंतित न हो। उन्होंने वादा किया कि सरकार मौजूदा कीमतों और चुनाव के बाद किसानों द्वारा अपेक्षित कीमतों के बीच अंतर को कम कर देगी। इसके अलावा उन्होंने गारंटी दी है कि चुनाव आचार संहिता खत्‍म होते ही सरकार तुरंत किसानों के खातों में रकम जमा कर देगी।

पश्चिम और उत्तर महाराष्ट्र में भी हालात बीजेपी विरोधी 

ऐसा नहीं है की केवल विदर्भ मराठवाड़ा में किसान सरकार की नीतियों से परेशान है पश्चिम महाराष्ट्र और उत्तर महाराष्ट्र में भी हालात बिगड़े हैं। बात अगर नाशिक की करें तो यहां के प्याज उत्पादकों ने चुनाव पर बहिष्कार की घोषणा कर रही है। निर्यात प्रतिबन्ध और गिरते दामों से प्याज किसान सरकार के विरोध में आवाज उठा रहे हैं। उधर पश्चिम महाराष्ट्र गन्ना किसानों की हालत भी कुछ अलग नहीं है। ऐसे में बीजेपी के लिए महाराष्ट्र में चुनौतीपूर्ण हालात खड़े हो गए हैं। इन विरोध के चलते बीजेपी अपनी नैय्या पार कैसे लगाएगी ये देखने वाली बात है।

चुनाव जितने के लिए मोदी के करिश्मे पर भरोसा

बीजेपी के राज्य नेताओं ने अधिकतम सीटें हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे पर भरोसा जताया है, वहीं विपक्षी दलों ने अपना अभियान तेज कर दिया है. उन्‍होंने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार किसानों के मुद्दों और कृषि संकट का समाधान करने में विफल रही है।

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