धान की बुवाई का सीजन शुरू हो चूका है आमतौर पर भारत में चावल की खेती सबसे अधिक की जाती है और खाने में भी चावल का इस्तेमाल भरपूर होता है। हालांकि किसान प्रॉफिट के लिए अलग अलग किस्म के धान की पैदावार पर लक्ष केंद्रित कर रहें है। काला धान भी धान की एक ऐसी किस्म है जिससे किसानों का प्रॉफिट डबल हो सकता है। पोषक तत्वों से भरपूर काला धान की डिमांड विदेशों में भी अधिक है। इसकी खेती अधिकतर मणिपुर में की जाती है।
200 रुपये से 500 रुपये किलो तक बिकता है चावल
काला धान की खेती आम धान की तरह ही की जाती है, लेकिन इसका चावल अन्य किस्मों की तुलना में दोगुनी कीमत पर बिकता है। आमतौर पर सामान्य धान का चावल 50-60 रुपये प्रति किलो में बिकता है। जबकि, काला चावल बाजार में 200 रुपये से 500 रुपये किलो तक बिकता है। इसे खाड़ी देशों के साथ ही कई यूरोपीय देशों में निर्यात किया जाता है।
रोपाई से पहले खेत को पानी भरकर जतुाई कर दें
खरीफ सीजन में काला धान की बुवाई के लिए सबसे पहले खेत को तैयार करना जरूरी है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि विज्ञान केंद्र के अनुसार धान की फसल के लिए खेत की पहली जतुाई मिट्टी पलटने वाले हल से और 2-3 जतुाई कल्टीवेटर से करके खेत तैयार करना चाहिए। इसके अलावा खेत की मजबूत मेड़बंदी करनी चाहिए, ताकि बारिश का पानी अधिक समय तक खेत में रोका जा सके। धान की रोपाई से पहले खेत को पानी भरकर जतुाई कर दें और जतुाई करते समय खते को समतल करना न भूलें।
काले चावल की पैदावार सबसे पहले चीन में हुई थी
काला चावल की पैदावार सबसे पहले चीन में हुई थी, बाद में यह भारत के मणिपुर में उगाया जाने लगा। इसे मणिपुर काला धान या चखाओ काला धान के नाम से जाना जाता है। इसे अनुकूल मौसम और जलवायु के चलते असम और सिक्किम और ओडिशा समेत कुछ अन्य राज्यों के अलग-अलग हिस्सों में भी उगाया जाता है। यह काला धान 100 से-120 दिन में तैयार हो जाता है और इसका पौधा पौधा 4.5 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है, जो आम धान फसल के पौधे की तुलना में बड़ा होता है।
एंटीऑक्सीडेंट और अन्य हेल्थ बेनेफिट्स से भरपूर
काला चावल को अपना काला आकर्षक रंग एंथोसायनिन से मिलता है, एक प्राकृतिक काले रंग का रंगद्रव्य जो इन चावलों को असाधारण एंटीऑक्सीडेंट और अन्य हेल्थ बेनेफिट्स वाला बना देता है। इसे जैविक तरीके से उगाया जाता है, जिससे इसकी न्यूट्रीशन वैल्यू बढ़ जाती है। किसान काला धान बुवाई के दौरान जीबामृत, वर्मीकम्पोस्ट और जैव उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं। इसकी खेती में रासायनिक खादों के इस्तेमाल से बचा जाता है।
आटा, सूजी, सिरप, बीयर, वाइन, केक, ब्रेड, लड्डू में होता है इस्तेमाल
काला धान की फसल का भी आम धान फसल की तरह ही बाली की शुरुआत और दाना भराव होता है। इसका उत्पादन औसतन प्रति एकड़ 12-15 क्विंटल होता है। काले चावल का इस्तेमाल ज्यादातर औषधि के रूप में खीर के रूप में किया जाता है। काला चावल का आटा, सूजी, सिरप, बीयर, वाइन, केक, ब्रेड, लड्डू और अन्य मीठे खाद्य पदार्थ और ब्यूटी प्रोडक्ट समेत कुछ अन्य वस्तुओं को बनाने में किया जाता है।