केले का कचरा भी किसान को करोड़पति बना सकता है। आजकल खेती में जैविक खाद की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। केले के तने से उच्च क्वालिटी का जैविक खाद बनाया जा सकता है। केला सिर्फ खाने में ही स्वादिष्ट नहीं होता है बल्कि बिजनेस के ऐंगल से देखें तो केले का पेड़ मोटी कमाई का जरिया बन सकता है। केले की खेती में सिर्फ फल ही नहीं फूल पत्ते और तनों से भी कमाई की जा सकती है। आमतौर पर केला तोड़ने के बाद किसान उसके तने को काटकर खेत में ही छोड़ दते हैं। पर यही तना लाखों कमाकर दे सकता है।
केले का तना कराएगा लाखों की कमाई
केले के तने से जैविक खाद बनाने के लिए सबसे पहले एक गड्ढा खोदा जाता है। इस गड्ढे में केले के तने को डाल दें। इसके बाद इसे गोबर से ढंक दें और फिऱ इसमें खरपतवार डाल दें। इसमें डिकंपोजर का छिड़काव करें और कुछ दिनों के लिए छोड़ दें। इसके कुछ ही दिनों के बाद एक बेहतरीन जैविक खाद बनकर तैयार हो जाता है। किसान इस खाद का इस्तेमाल अपने खेतों में करके अच्छा उत्पादन हासिल कर सकते हैं। इतना ही नहीं इस खाद को किसान बेचकर भी अच्छी कमाई हासिल कर सकते हैं।
बहुउपयोगी है केले का पेड़
गौरतलब है कि केले की खेती करने वाले किसानों के सामने इसके विशाल बॉयोमास को फेंकने की या इसका निपटान करने की एक बड़ी चुनौती होती है। जैविक खाद के अलावा सिकुड़े हुए तने से रेशे निकालकर इसका उपयोग नेट हेड, गार्डन बास्केट, कैलेंडर आदि के रूप में किया जा सकता है।
केले की खेती के लिए प्रसिद्ध राज्य
अरुणाचल प्रदेश भारत का सबसे बड़ा केला उत्पादक राज्य है जहां देश का 17.99% यानी 5.8 मिट्रिक टन केला उगाया जाता है। भारत के कुल केला उत्पादन में महाराष्ट्र का कंट्रीब्यूशन 14.26 फ़ीसदी है यहां से सालाना 4.6 मिट्रिक टन केला उत्पादन मिल रहा है। राष्ट्रीय केला उत्पादन में गुजरात की भागीदारी 12.4% फीसदी है।यह राज्य लगभग 3.9 मिट्रिक टन केला उत्पादन करता है। इसके आलावा तमिलनाडु में 3.9 और कर्नाटक में 3.7 प्रतिषद केला उगाया जाता है। यूपी और बिहार में भी बड़े पैमाने पर केला का उत्पादन किया जा रहा है।