सीएम शिंदे बोले-किसानों के लिए आय का दूसरा जरिए बन सकती है बांस की खेती

मुंबई: वातावरण में हो रहे बदलाव और सूखे से खेती प्रभावित होती है और ऐसे में बांस की खेती आर्थिक उन्नति का मार्ग बन सकता है। राज्य के अधिक से अधिक क्षेत्रों में बांस रोपण के लिए विभिन्न विभाग समन्वित एवं सहयोगात्मक प्रयास करें। पर्यावरण सुधार और किसानों की समृद्धि के लिए बांस की खेती उपयोगी है। असल में बांस की खेती पर आज राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बात कही। उन्होंने कहा कि  बांस की खेती के लिए किसान और सरकार मिलकर काम करे तो ये आय का दूसरा जरिए बन सकता है।

दरअसल, पहली बांस टास्क फोर्स बैठक का आयोजन किया गया था और इस अवसर पर उद्योग मंत्री उदय सामंत, राज्य कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष पाशा पटेल, कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुप कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव विकास खड़गे, पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव प्रवीण दराडे, वन विभाग के प्रधान सचिव वेणुगोपाल रेड्डी , कृषि विभाग के प्रधान सचिव डाॅ. रोहोयो प्रभाग दिनेश वाघमारे, आदिवासी विकास विभाग के प्रधान सचिव विजय वाघमारे उपस्थित थे।

बांस की खेती एक महत्वपूर्ण विकल्प

शिंदे ने कहा, ”दुनिया भर में प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। इसलिए पर्यावरण परिवर्तन के कारण आने वाली पीढ़ियों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पर्यावरण की रक्षा और ऊर्जा संकट से निपटने के लिए बांस की खेती एक महत्वपूर्ण विकल्प होगी। इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

बांस क्लस्टर का निर्माण करे किसान

बांस की बढ़ती मांग को देखते हुए किसान बांस लगाकर भारी आर्थिक लाभ उठा सकते हैं। इसलिए किसानों को बांस क्लस्टर का निर्माण करना चाहिए। बैठक में मौजूद राज्य कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष पाशा पटेल ने कहा, मुख्यमंत्री शिंदे का सपना अगले पांच साल में राज्य में 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बांस लगाने का है। बांस टास्क फोर्स इस सपने को पूरा करने के लिए काम कर रही है। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार भी बांस की खेती को प्रोस्ताहित कर रही है और इसके लिए बांस मिशन को शुरू किया गया है। पूर्वोत्तर के राज्यों में बांस से कई उत्पादों को बनाया जा रहा है और बाजार में इसकी मांग भी काफी ज्यादा है।

बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए नीतियां

मुख्यमंत्री ने कहा की “हमारी नीति किसानों द्वारा बांस की खेती को बढ़ावा देना है। इस नीति को सफल बनाने के लिए कृषि, वन, सामाजिक वानिकी, पर्यावरण आदि सभी विभाग एक टीम के रूप में सकारात्मक भावना से कार्य करें और राज्य में बांस की खेती का क्षेत्रफल बढ़ायें।

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