कपास की खेती का रेट हुआ कम, दोहरी मार से किसान हुए परेशान

कपास की खेती का इस साल रेट कम हो रहे हैं, जिससे किसान परेशान हो गए हैं। यह सच है कि कपास का उत्पादन यह मानकर किया गया था कि इसकी अच्छी कीमत मिलेगी। लेकिन कीमत बढ़ने के बजाय शुरुआती कीमत गिरती ही नजर आ रही है। कपास की अच्छी कीमत मिलाने की उम्मीद से कपास बाजार के बजाय किसानोंके घर में पड़ी है

फिलहाल कपास का भाव मात्र 6,500 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है। जो अन्य सालों की तुलना में कम है। किसानों को कपास की सरकारी खरीद के बारे में कोई जानकारी नहीं है। असल में 50 फीसदी कपास दाम नहीं मिलने के कारण घर में ही पड़ा हुआ है और दाम बढ़ने का इंतजार कर रहा है।

42.40 लाख हेक्टेयर में हो रही है खेती

इस वर्ष राज्य में 42 लाख 40 हजार हेक्टेयर में कपास की खेती की गई। नासिक, नगर, बुलदाना, अकोला, वाशिम, यवतमाल, वर्धा, नागपुर, चंद्रपुर, धुले, नंदुरबार, जालना, जलगांव, बीड, छत्रपति संभाजीनगर, नांदेड़, परभणी, हिंगोली जिलों में कपास का क्षेत्र अधिक है। अधिकांश कपास किसान दिसंबर और जनवरी में ही कपास बेचते हैं। पिछले साल कपास की कीमत 5 हजार से 12 हजार तक पहुंच जाने के कारण किसानों ने इस उम्मीद में उन्हें बाजार नहीं दिखाया कि इस साल कपास की कीमत बढ़ेगी। नवंबर में 6,000 रुपये प्रति क्विंटल से शुरू हुई कपास की खरीद दिसंबर में 6,800 रुपये प्रति क्विंटल और जनवरी में 6,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। दाम न मिलने के कारण कपास नहीं बिक पाने के कारण पचास प्रतिशत से अधिक कपास अभी भी किसानों के घरों में पड़ा हुआ है।

किसानों पर दोहरी मार

कपास की कीमत बढ़ने की उम्मीद में घर में रखी कपास पर एक विशेष कीट का प्रकोप होने से कपास खराब हो रहा है। भाव कम होने पर कपास को घर से बाहर निकालना पड़े और भंडारित करना पड़े तो स्वास्थ्य खतरे में पड़ जाता है, जिसकारण किसान दोहरे संकट में फंस गया है।

हालात पिछले साल से भी ज्यादा कठिन

राज्य में मराठवाड़ा, विदर्भ, नगर, सोलापुर क्षेत्रों में कपास का क्षेत्र अधिक है। पिछले साल शुरुआती दौर में कपास को ग्यारह हजार तक का रेट मिला था। लेकिन कपास की कीमत इससे भी अधिक बढ़ने की आशंका के चलते किसानों ने कपास को घर में ही जमा कर रखा है। लेकिन वहीं दरें अब बढ़ने की बजाय कम हो गईं। कई किसानों को कपास सात से साढ़े सात हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बेचना पड़ा। कुछ किसानों का कपास जून-जुलाई तक घर में ही पड़ा रहा। इस साल तो स्थिति और भी गंभीर हो गयी है। फिलहाल कपास का भाव पिछले साल से एक से डेढ़ हजार रुपये प्रति क्विंटल कम मिल रहा है।

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