कैक्टस, अब ये नाम सुनकर अक्सर लोगों को एक कांटे से भरे हुए पेड़ की याद आती है। कैक्टस को रेगिस्तान का हरा सोना भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि रेगिस्तान में उगने वाले ये कैक्टस किसानों की लाखो की कमाई करा सकते है।
कैक्टस का उपयोग:
कैक्टस का इस्तेमाल पशु चारे, चमड़ा बनाने, दवाईयां बनाने, हेल्दी रेसीपी और फ्यूल को बनाने में होता है। इसका उपयोग आयुर्वेदिक दवाई के तौर पर भी होता है। इसके साथ ही इसका उपयोग जूस, मुरब्बा, कैंडी, लाल कलर की डाई के अलावा तेल, शैंपू, साबुन और लोशन जैसे मेकअप के सामान भी बनाने में किया जाता है।
कैक्टस से बनने वाला लैदर:
वियतनाम को कैक्टस आयल का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर माना जाता है। इतना ही नहीं यूरोप के बाज़ारो में ये अच्छे दामों पर भी बिकता है। इतने प्रोडक्ट्स कैक्टस के मार्किट में होने के बाद मैक्सिको ने कैक्टस का लैदर बना कर सबको चौका दिया। कैक्टस लैदर की मदद से पर्यावरण को प्रदूषित होने से तो बचाया जा सकता है इसके साथ ही जानवरो की बलि को भी रोका जा सकता है।
कैसे शुरू हो सकता है प्लांट,और कितना आएगा खर्च?
कैक्टस लैदर को बिज़नेस वेंचर बनाने के लिए 500 kg कैपेसिटी के प्लांट को लगाने के लिए 60 से 80 लाख का खर्च आएगा। वही मास प्रोडक्शन में एक मीटर की शीट तैयार होने में 80 से 100 रुपये की कॉस्ट आयेगी। जिसके बाद इसको 100 से 300 प्रतिशत प्रॉफिट में बेचा जा सकता है। दिखने में ये लैदर जेन्युइन लैदर से ज़्यादा अच्छा और किफायती होता है।