खेती से साथ साथ मत्यपालन का व्यवसाय भी जोर पकड़ रहा है। केंद्र और राज्य सरकार भी मछली पालन के लिए किसानों को बड़े पैमाने पर सब्सिडी दे रही हैं। लेकिन अगर आप मछली पालन के साथ बत्तख पालन करें तो मुनाफा डबल हो सकता है। बत्तख तालाब भी साफ़ रखती है और इनके मांस और अंडे की बाजार में भरी मांग से बत्तख पालन का व्यवसाय किसानों के लिए फ़ायदे का सौदा बन सकता है।
कम लागत में ज्यादा मुनाफा
किसान मछली पालन के साथ-साथ बत्तख पालन भी कर सकते हैं। इससे उन्हें कम लागत में ज्यादा मुनाफा होगा। बत्तख पानी और जमीन दोनों जगहों पर रहती है। तालाब के कीड़े- मकोड़े खा कर वह अपना पेट भर लेती है। बत्तखों के मलमूत्र को मछलियों के आहार के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
तालाब में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है
मछली के साथ बत्तख पालन करने पर मछली पालन पर होने वाले खर्चे में करीब 60 फीसदी की कमी आ सकती है। साथ ही बत्तख, तालाब की गंदगी को खाकर उसकी साफ-सफाई कर देती है। इसके अलावा बत्तख को पानी में तैरने से तालाब में ऑक्सीजन का स्तर भी बढ़ जाता है। इससे मछलियों की ग्रोथ तेजी से होती है और वे लंब समय तक स्वस्थ्य भी रहती हैं।
अच्छी नस्ल की बत्तख पालें
अगर आप मछली के साथ बत्तख पालन का व्यापार शुरू करना चाहते हैं, तो अच्छी नस्ल की बत्तख पालें। ऐसे खाकी कैम्पबेल, सिलहेट मेटे, नागेश्वरी और इंडियन रनर बत्तखों की बेतरीन प्रजातियां हैं। आप इनमें से किसी का भी पालन शुरू कर सकते हैं।
एक हेक्टेयर एरिया में 250 से 300 बत्तख रखें
मछली के साथ बत्तख पालन के लिए ऐसे तालाब का चयन करें, जिसकी गहराई कम से कम 1.5 से 2 मीटर हो। इसके अलावा आप तालाब में 250 से 350 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से चूने का इस्तेमाल करें। आप तालाब के ऊपर या किसी किनारे पर बत्तखों के लिए बाड़ा बना सकते हैं। एक हेक्टेयर एरिया में 250 से 300 बत्तख पाले जा सकते हैं।
4000 किलोग्राम बढ़ सकता है मछली का उत्पादन
अगर आप मछली पालन के साथ बत्तख पालन करते हैं, तो एक साल में 4000 किलोग्राम मछली का उत्पादन कर सकते हैं। साल भर में आप 18000 अंडे 600 बत्तख के मांस भी बेच पाएंगे।
अच्छी ग्रोथ के लिए बत्तख को 120 ग्राम दाना दें
बत्तख को 120 ग्राम दाना रोज देना चाहिए। इससे उनकी ग्रोथ तेजी से होती है। वहीं मछली के साथ बत्तख पालन से 60 से 70 ग्राम दाना देकर आप आहार की मात्रा पूरी कर सकते हैं। बत्तख कीट, पतंगों, पौधे, मेढक के बच्चे को खा जाते हैं, जो कि मछलियों के लिए हानिकारक होते हैं। साथ ही तालाब में बत्तख के तैरते रहने से पानी में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ जाता है। इससे मछलियां को सांस लेने में दिक्कत नहीं होती है।