रायपुर: बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और जम्मू-कश्मीर समेत लगभग पूरे भारत में धान की खेती होती है। सभी राज्यों में अलग-अलग प्रकार की धान की किस्में उगाई जाती है। कश्मीर का बासमती चावल जो अपने सुगंध और स्वाद के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है और छत्तीसगढ़ का ब्लैक राइस भी महत्वपूर्ण है। यह एक धान की विशेष प्रकार की किस्म है जिसे पहले सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही उगाया जाता था लेकिन वर्तमान समय में यह किस्म अन्य राज्यों में भी उगाई जाती है।
कश्मीरी बासमती की तरह छत्तीसगढ़ के ब्लैक राइस की डिमांड भी पूरे विश्व में है। यह ब्लैक राइस औषधीय गुणों से परिपूर्ण है और इसमें काफी अधिक मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। मार्केट में इसका रेट 400 रुपये प्रति किलो है। जिसके कारण दुनिया के धनी लोग ही इसे खाते हैं। एक विशेष बात यह है कि ब्लैक राइस की खेती छत्तीसगढ़ के पूरे क्षेत्र में नहीं की जाती है। कोरबा जिले के किसानों के पास ही इसे उगाने की विशेषता है। पिछले साल जिले में करीब 150 किसानों ने 130 एकड़ में ब्लैक राइस की खेती की थी।
दो साल पहले करतला ब्लॉक के कुछ किसानों ने ब्लैक राइस की खेती शुरू की थी। उस समय किसानों ने 10 एकड़ में इसकी फसल को उगाया था जिससे उन्हें अच्छी आमदनी प्राप्त हुई थी। इसके बाद अगले साल किसानों ने 100 एकड़ में ब्लैक राइस की बुवाई की जिससे 25 टन की पैदावार हुई। तब कलकत्ता की एक कंपनी ने किसानों से सीधे ब्लैक राइस खरीदे जिससे कि किसानों को अच्छा मुनाफा हुआ था। इस समय करतला ब्लॉक के किसानों का कहना है कि वहां उगाए गए ब्लैक राइस की मांग पूरे विश्व में बढ़ती जा रही है।
छत्तीसगढ़ के किसानों का कहना है कि ब्लैक राइस इंडोनेशिया समेत कई देशों में आपूर्ति हो रही है। इसके सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। इसलिए कोरोना काल में चिकित्सकों ने लोगों को ब्लैक राइस का सुझाव दिया था। इसके कारण साधारण चावल की तुलना में ब्लैक राइस महंगा बिकता है। वर्तमान में बड़े शहरों में इसकी कीमत 400 रुपये प्रति किलो है। इसके साथ ही इसका स्वाद सफेद चावल से भी अधिक अच्छा होता है।