गीतांजलि दलवी, मुंबई
महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के मामले में कोई कमी नहीं दिख रही है। असल में राज्य के परभणी जिले में प्राकृतिक आपदओं के कारण किसानों की आत्महत्या के मामले जारी हैं औऱ इसमें बदली परिस्थिति के बाद भी कुछ खास बदलाव नहीं हुए हैं अभी भी जिले में आत्महत्याओं का सिलसिला जारी है ।
परभणी जिले में सूखे, भारी बारिश, ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण और कर्ज के कारण 2019 से 2023 तक पांच वर्षों में 412 किसानों ने सुसाइड किए हैं। जो राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। क्योंकि तमाम योजनाओं और दावे के बाद भी आत्महत्याओं का सिलसिला नहीं रूक रहा है। जानकारी के मुताबिक 2022 में 77 और 2023 में 103 किसानों ने आत्महत्या की थी। वहीं राज्य सरकार ने इनमें से 57 आत्महत्याओं के मामलों में मदद दी गई है और इसमें से कुल 37 मामले अपात्र माने गए हैं जबकि अभी 9 मामलों में जांच जारी हैं।
जानकारी के मुताबिक पिछले वर्ष जनवरी, फरवरी, मार्च, मई, जून, अगस्त माह में 6-6 किसानों ने आत्महत्या की है। वहीं अप्रैल में 8, सितंबर में 12, अक्टूबर में 13, नवंबर और दिसंबर में 10-10 किसानों ने आत्महत्या की है।
राज्य सरकार नहीं कर रही है ठोस उपाय
वहीं राज्य सरकार की ओर से किसानों की आत्महत्या रोकने के कोई ठोस उपाय नही किये जा रहे हैं। राज्य सरकार इसके बावजूद कई दावें कर रही हैं औऱ कई नई योजनाओं को शुरू करने का भी दावा कर रही हैं। लेकिन इसका असर जमीन पर नहीं दिख रहा है। असल में बारिश के ना होने, प्राकृतिक मार और कर्ज के फेरों में फंसे किसान आत्महत्या का रास्ता अपना रहे हैं।
परभणी 18 साल में 1033 किसान कर चुके हैं सुसाइड
राज्य के परभणी जिले में 2006 से 2023 तक यानी पिछले 18 वर्षों में किसानों की आत्महत्या की संख्या 1 हजार 33 तक पहुंच गई है। जबकि इसी जिसे में 2019 से 2023 तक यानी पांच सालों में कुल 412 किसानों ने आत्महत्या की है। राज्य सरकार ने इनमें से 282 मामले सहायता के पात्र माने थे जबकि कुल 110 मामलों को आर्थिक सहायता के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है।