केंद्र सरकार ने गेहूं और आटे की कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए आटा मिल मालिकों, प्रसंस्करण इकाइयों और बड़े व्यापारियों को राहत दे सकती है। सरकारने स्टॉक सीमा मानकों को कड़ा कर दिया है। इससे गेहूं और आटे की जमाखोरी रोकने में मदद मिलने की बात कही गई है। हालांकि, नियम सख्त होने के बाद कभी भी अधिकारियों द्वारा छापेमारी से मिल मालिक और प्रसंस्करण इकाइयां परेशान हैं। नियम पहले से सख्त होने के बाद भी अप्रैल सीजन के दौरान मार्केट के दौरान सप्लाई धीमी रही है। हालांकि, फरवरी में किसानों के भंडारण में रखे गए गेहूं की संभावना के कारण, सरकार स्टॉक सीमा मानदंडों में ढील दे सकती है ताकि मिलर्स अधिक गेहूं खरीद सकें।
राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारी और उनकी एजेंसियां कथित तौर पर बिना किसी कारण के स्टॉक होल्डिंग सीमा लगाए जाने के बाद व्यापारियों, मिल मालिकों के परिसरों, कारखानों की चेकिंग कर रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, किसी भी समय अधिकारियों का निरीक्षण करना आटा मिल मालिकों के लिए परेशानी का सबब बन गया है और मिल मालिक चाहते हैं कि सरकार पहले इनपुट इकट्ठा करे और फिर अधिकारियों को निरीक्षण के लिए भेजे। ताकि उनके कारोबार में किसी तरह का असर ना हो।
इन कारणों से नियमों में छूट की संभावना
केंद्र सरकार ने हाल ही में बाजार में गेहूं और आटे की उपलब्धता बनाए रखने के उद्देश्य से खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं और प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए स्टॉक सीमा मानदंडों को कड़ा कर दिया था। इसके बावजूद अप्रैल से नए सीजन में बाजार में सप्लाई कम हुई है। इसके साथ ही मिलर्स की छापेमारी से जुड़ी शिकायतों के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार गेहूं के स्टॉक मानकों में ढील दे सकती है। इसकी मुख्य वजह यह है कि फरवरी से किसानों के भंडारण में रखा गेहूं बाजार में आना शुरू हो जाएगा। स्टॉक नियमों में छूट के बाद मिलर्स किसानों से गेहूं खरीद सकेंगे।
विक्रेताओं के लिए संशोधित स्टॉक सीमा
केंद्र ने आठ दिसंबर को संशोधित गेहूं स्टॉक सीमा की घोषणा की थी, जिसके तहत प्रसंस्करणकर्ताओं, खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं द्वारा किसी भी समय रखी जा सकने वाली अधिकतम मात्रा को कम कर दिया गया था। संशोधन के बाद रिटेल आउटलेट का स्तर 10 टन की जगह 5 टन तय किया गया था। डिपो स्तर पर व्यापारियों और थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा को घटाकर 2000 टन से घटाकर कर दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि स्टॉक लिमिट का मतलब है कि प्रोसेसर्स को 31 मार्च 2024 तक पूरा स्टॉक खाली करना है।सभी गेहूं स्टॉक करने वाले संस्थानों को गेहूं स्टॉक सीमा पोर्टल पर पंजीकरण करना और हर शुक्रवार को स्टॉक अपडेट करना आवश्यक है।