किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकार तरह -तरह की योजनाएं लाती हैं। जिससे किसानों की मदद की जा सकें। दरअसल, बिहार सरकार एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत पपीता की खेती करने वाले किसानों को 45 हजार रुपए देने जा रही हैं। पपीते की खेती पूरे साल की जाती है। पपीते की मांग भी बाजार में बढ़ रही है। ऐसे में इसकी खेती से किसान मोटा मुनाफा कमा सकता है।
राज्य सरकार देगी 45 हजार रुपए
बिहार सरकार एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत पपीता की खेती के लिए किसानों को 75 प्रतिशत सब्सिडी देने जा रही है। राज्य सरकार ने पपीते की खेती के लिए इकाई लागत 60 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर तय की है। जिस पर किसनों को 45 ,000 रुपए की सब्सिडी मिलेगी। जिसका मतलब ये है कि किसानों को एक हेक्टेयर खेती करने के लिए 15 हजार खर्च करने होंगे।
पपीता विटामिन सी, विटामिन ए, प्रोटीन, कैल्शियम, शर्करा, फास्फोरस से भरपूर होता है। इसके अलावा पपीता कैरोटीन से भरपूर होता है। बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, पंजाब, जम्मू कश्मीर, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु के किसान पपीते की खेती करते हैं। पपीते की खेती साल भर की जाती है। पपीते के लिए 38 से 44 डिग्री सेल्सियस का तापमान अच्छा माना जाता है।
पपीता की खेती से किसानों को होगी आमदनी
पपीते की खेती से किसानों की आमदनी अच्छा होगी किसान अच्छी आमदनी कर सकते है। बाजार में पपीते की डिमांड हमेशा रहती है। ऐसे में किसान अच्छी गुणवत्ता वाला पपीता लगाकर अच्छी पैदावार और मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। पपीते की खेती के लिए जुलाई से सितम्बर का समय सबसे अच्छा माना जाता है। यह बीज बोने का समय है। ऐसे में किसान शुरुआत में ही सही बीज का चयन कर अपना उत्पादन बढ़ने के साथ -साथ मुनाफा भी बढ़ा सकते है। पपीते की कुछ किस्में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गयी है। जो एक बार लगाने पर 2 से 3 साल तक फल दे सकता है।