आम का राजा हापुस आम के दाम गिर गए हैं। वाशी बाजार समिति में कोंकण हापुस की आमद 31 हजार पेटी तक पहुंच गई है। आवक बढ़ने से बक्सों के दाम एक से डेढ़ हजार रुपये तक कम हो गये हैं। इसके आलावा विदेशी धरती पर लाल सागर में हौथी आतंकवादी समूह के हमलों के कारण यूरोप में निर्यात रुक गया है।
यह भी एक वजह है की आम के दाम में कमी आई है
हौथी आतंगवादियों के कारण रुका निर्यात
हवाई परिवहन पर समुद्री निर्यात का बोझ बढ़ने से यूरोप, अमेरिका में मांग के बावजूद हापुस का निर्यात नहीं हो पा रहा है। जानकार और व्यापारी कह रहे हैं कि आम का बाजार ठंडा पड़ने से कीमत पर असर पड़ा है।
बारिश और फलों के संक्रमण का भी असर
इस साल फरवरी के पहले सप्ताह से ही हापुस आम का सीजन शुरू हो गया। कोंकण से वाशी बाजार में प्रतिदिन पांच सौ से अधिक बक्से भेजे जाते हैं। अनुमान लगाया गया था कि इस साल हापुस की बंपर फसल होगी। लेकिन थ्रिप्स संक्रमण और जनवरी की बारिश ने हापुस को प्रभावित किया।
अन्य राज्यों से आये आम की खपत बढ़ी
शुरुआत में बाजार में एक बक्से की कीमत साढ़े छह हजार रुपये तक थी। पहले पखवाड़े में यह दर स्थिर थी। लेकिन अन्य राज्यों से आने वाले आम के कारण दर पर असर पड़ने लगा है।
शनिवार को आम के 39 हजार बक्से वाशी बाजार पहुंचे जिसमे 31 हजार बक्से हापुस आम के हैं और अन्य 8 बक्से अन्य राज्यों से आये हुए आम के हैं।
चिंता में आम किसान
हौथी आतंकवादी समूह के हमलों के कारण कई कंपनियों ने स्वेज नहर मार्ग से बचने के लिए केप ऑफ गुड होप मार्ग अपनाना शुरू कर दिया है। जिसका सबसे बुरा असर हापुस की निर्यात पर पड़ा है। व्यापर के लिए कई कंपनियां अमेरिका, खाड़ी देशों के साथ यूरोप तक माल परिवहन के लिए हवाई मार्ग अपना रहे हैं। इससे एयरलाइंस पर बोझ बढ़ गया है। निर्यात का खर्च बढ़ने से भी अल्फांसो की निर्यात पर असर पड़ा है।
विदेशों में भेजा जाने वाला आम बाजार में रह जाने से कीमतों में भरी गिरावट आई है। ऐसे में आम किसानों की चिंता बढ़ गई है। हालांकि अभी भी उम्मीद है की स्थिति बदलेगी और विदेश में निर्यात फिर से शुरू हो जायेगा।