MSP के मामले में किसान और सरकार की लड़ाई जारी है। आये दिन विभिन्न राज्यों से एमएसपी को लेकर धरना और आंदोलन की खबरे आती रहती हैं। महाराष्ट्र के किसान संगठनों ने राज्य सरकर को चेतावनी दी है यदि प्याज़ पर एमएसपी तय नहीं होगी तो हरियाणा जैसा आन्दोलनं करेंगे।
हरियाणा में सूरजमुखी की फसल को एमएसपी पर खरीद को लेकर जो आंदोलन कुरुक्षेत्र में शुरू हुआ था वो अब पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। फसलों के कम दाम मिलने से पीड़ित किसान अब बागवानी फसलों पर भी एमएसपी की मांग कर रहे हैं। उन्होंने केरल का उदाहरण भी दिया है जो पहला राज्य है जहां सब्जियों के लिए एमएसपी निर्धारित की जाती है। यहां सब्जियों का न्यूनतम या आधार मूल्य, उनकी उत्पादन लागत से 20 प्रतिशत अधिक होता है। महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी ऐसी मांग उठ रही है लेकिन इसे अन्य क्षेत्रों में मान्यता नहीं दी गई है।
केरल सरकार ने 16 प्रकार की सब्जियों के लिए आधार मूल्य तय किया है। सब्जियों का आधार मूल्य उनकी उत्पादन लागत से 20 प्रतिशत अधिक निर्धारित किया गया है। वर्तमान समय में हरियाणा में चल रहे किसान आंदोलन के कारण एमएसपी की कानूनी गारंटी का मुद्दा फिर से उठा है। उसी तरह महाराष्ट्र में प्याज के घटते हुए मूल्यों से किसान परेशान हैं। राज्य में अब प्याज को भी एमएसपी की सीमा में लाने की मांग हो रही है।
इन फलों और सब्जियों पर सरकार ने निर्धारित की है एमएसपी
केरल सरकार ने 1 नवंबर 2016 को विभिन्न फलों और सब्जियों पर एमएसपी लागू की थी। एमएसपी लागू होने के बाद प्रदेश में फल और सब्जियों के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। केरल में नाशपत्ती,टमाटर, गाजर, टमाटर, बीन्स, लहसुन, चुकंदर, खीरा, पत्तागोभी समेत कई अन्य फलों और सब्जियों पर एमएसपी मिलती है।
लम्बे समय से एमएसपी की मांग कर रहे महाराष्ट्र के किसान
महाराष्ट्र के किसान को प्याज़ की फसल को लेकर चिंतित रहते हैं। किसानों अनुसार उन्हें बाजार में प्याज का भाव 4 से 6 रूपये प्रति किलो के रूप में मिल रहा है जबकि एक किलो पर किसानो की लागत 15 से 18 रूपये आती है। महाराष्ट्र में प्याज़ उत्पादक संघ ने प्याज़ की फसल पर 30 रूपये की मांग की है और उन्होंने चेतावनी दी है यदि सरकार उनकी मांग नहीं मानती है तो वे हरियाणा जैसा किसान आंदोलन करेंगे।