देश के कीटनाशक निर्माण उद्योग द्वारा उत्पादित कीटनाशकों की मांग दुनिया भर में बढ़ रही है। यही वजह है कि महज 27 साल में कीटनाशकों की बिक्री का बाजार 45 हजार करोड़ के पार पहुंच गया है। पेस्टीसाइड मैन्युफैक्चरर्स एंड कंपाउंडिंग प्रोडक्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (पीएमएफएआई) का कहना है कि 1997 में देश का कीटनाशक उद्योग का निर्यात केवल 270 करोड़ रुपये था। अब यह उद्योग उड़ान भर रहा है और निर्यात उद्योग बढ़कर 50 हजार करोड़ हो गया है। गुणवत्ता, अच्छी सेवा, उत्पादों की विविधता के कारण निर्यात बढ़ रहा है। यही कारण है कि हाल ही में दुबई में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय फसल संरक्षण सम्मेलन और प्रदर्शनी में संगठन को अभूतपूर्व रिजल्ट मिला।
दुबई में भारतीय कीटनाशक उद्योग द्वारा आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में दुनिया भर से 1,200 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। साथ ही 2500 लोगों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस सम्मेलन में दुनिया की फसल सुरक्षा क्षेत्र की 91 प्रसिद्ध कंपनियों ने भाग लिया। इसमें वैज्ञानिक, शोधकर्ता, कंपनियां और फसल सुरक्षा के क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल थे। कृषि रसायन एक्सपोर्ट के प्रबंध निदेशक अतुल चुरीवाल ने कहा कि भारत अब दुनिया को बेहतर इनपुट प्रदान करने में चीन से बेहतर है। हालाँकि, उन्होंने इस सम्मेलन में कहा कि वैश्विक तापमान वृद्धि का असर खाद्यान्न उत्पादन पर पड़ रहा है और यह भविष्य में सभी के लिए चिंता का विषय है।
इंडियन माइक्रोन्यूट्रिएंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईएमएमए) के अध्यक्ष राहुल मीरचंदानी ने बताया कि चिलेशन तकनीक के आधार पर संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन का अब विस्तार हो रहा है। कंप्यूटर प्रौद्योगिकी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) पर आधारित विभिन्न प्रणालियाँ दुनिया की कृषि व्यवसाय कोऔर अधिक बेहतर बनाएंगी। फसल विज्ञान निदेशक ने कहा डॉ. एग्रीला ने कहा की कृषि क्षेत्र का कितना भी विस्तार हो जाए, जैविक उर्वरकों का उपयोग महत्वपूर्ण बना रहेगा। क्योंकि वह एक स्थायी कृषि प्रणाली की नींव है।