केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा है कि आज भारत उर्वरकों के मामले में आत्मनिर्भर बनने के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत में हर साल करीब 3.5 करोड़ टन यूरिया की खपत होती है। इसमें से भारत करीब 70 से 80 लाख टन का आयात करता है। अब यह लगातार कम हो रहा है और हमें उम्मीद है कि जल्द ही भारत यूरिया के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा। क्योंकि बंद पड़ी यूरिया फैक्ट्रियों को फिर से शुरू कर दिया गया है। इसके साथ ही यूरिया के नए उत्पादन संयंत्र भी स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, नैनो यूरिया विकसित करके और इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन करके, भारत ने यूरिया में आत्मनिर्भरता के रास्ते पर भी प्रगति की है।
मंडाविया ने अपनी किताब ‘फर्टिलाइजिंग द फ्यूचर’ में यह लिखा है। इसका विमोचन उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने किया। मंत्री ने अपनी किताब में कहा है कि जब पूरी दुनिया में उर्वरकों की कीमतें बढ़ रही थीं, तब कई देशों में उर्वरकों की आपूर्ति का संकट था। लेकिन भारत के किसान इस संकट से मुक्त रहे। उर्वरक निर्माता और उर्वरकों के लिए कच्चा माल भारत की आपूर्ति करने वाले देशों के साथ दीर्घकालिक समझौते करके, भारत ने अपने किसानों को उचित मूल्य पर उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए काम किया।
बढ़ती कीमतों का बोझ सरकार ने उठाया
मंडाविया ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में दुनिया के कई देशों ने उर्वरक संकट की समस्या का सामना किया है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने इन संकटों का असर अपने देश के किसानों और किसानों पर नहीं पड़ने दिया। प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित किया कि जार में उर्वरकों की बढ़ती कीमतों को देश के किसानों को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने सब्सिडी बढ़ाने का काम किया। भले ही सरकार पर सब्सिडी का बोझ लगातार बढ़ता रहा लेकिन प्रधानमंत्री का संकल्प था कि देश के अन्नदाताओं को इसका बोझ महसूस नहीं होने दिया जाएगा। दूसरी ओर, बड़े देशों ने वैश्विक परिस्थितियों के दबाव में अपने किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ाने का रास्ता चुना।
उर्वरकों के संतुलित उपयोग की वकालत
मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी अक्सर उर्वरकों के संतुलित उपयोग की बात करते हैं। उनका यह भी कहना है कि रासायनिक उर्वरकों के बजाय जैविक उर्वरकों का उपयोग बढ़ाना धरती माता की बहुत बड़ी सेवा होगी। इन्हीं बातों से प्रेरणा लेते हुए केंद्र सरकार रासायनिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए पीएम प्रणाम जैसी योजना लेकर आई है। इसके तहत उर्वरकों का संतुलित उपयोग करने वाले किसानों और राज्यों को प्रोत्साहन देने का प्रावधान है। देश में बड़े पैमाने पर वैकल्पिक खाद उपलब्ध हो और किसान भी इसे व्यापक रूप से अपनाएं इसके लिए केंद्र सरकार भी कई स्तरों पर काम कर रही है।
खाद की कालाबाजारी पर कड़ा प्रहार
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत किसानों का देश है। भारत की पहचान पूरी दुनिया में कृषि प्रधान देश के रूप में रही है। भारत की दृष्टि से किसानों और किसानों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश की लगभग दो-तिहाई आबादी किसी न किसी रूप में कृषि पर निर्भर है। हमारे कई उद्योग हैं जो कच्चे माल के लिए कृषि पर निर्भर हैं। ऐसे में भारत का कृषि क्षेत्र आगे बढ़ता रहे और उसके सामने कोई संकट न आए यह सुनिश्चित करने का काम मोदी सरकार ने किया है. उनका दावा है कि देश में खाद की कालाबाजारी और जमाखोरी के खिलाफ जोरदार प्रहार किया गया है।