अपनी महक और स्वाद के लिए विदेशी बाजार में पैठ ज़माने वाले भारत के बासमती चावल को जल्द ही भौगोलिक संकेत यानि जीआई टैग मिल सकता है। अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान के लिए यह बड़ा झटका होगा क्यूंकि भारत की ही तरह पाकिस्तान भी बड़े पैमाने पर बासमती चावल का निर्यात करता है। इस साल के अंत तक यूरोपीय संघ और भारत के बीच एक-दूसरे के उत्पादों के लिए जीआई टैग देने पर समझौता की संभावना है।
जीआई टैग को लेकर एक समझौते के लिए भारत और यूरोपीय कमीशन ने अब तक छह दौर की बातचीत की है। बिजनेस लाइन को उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों के अनुसार, भारत और यूरोपीय संघ ने 12 और 13 मार्च को दो सत्रों में मुलाकात की, जिसकी सबसे बड़ी उपलब्धि उस लिस्ट के आदान-प्रदान पर सहमति रही है, जिसमें उन 200 उत्पादों के नाम हैं जिसके लिए दोनों जीआई टैग चाहते हैं।
बासमती चावल के लिए जीआई टैग की लड़ाई में विजेता बनेगा भारत
भारत बासमती चावल और 199 अन्य उत्पादों को जीआई टैग के लिए यूरोपीय आयोग को देगा, ताकि वो इनकी जांच कर सके। जीआई विशेषज्ञ एस चंद्रशेखरन ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ व्यापार संबंधी बौद्धिक अधिकार के अनुच्छेद 23 के तहत उच्च सुरक्षा की तलाश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि भारत बासमती चावल के लिए जीआई टैग की लड़ाई में विजेता बनेगा। इससे 4 लाख टन बासमती चावल का निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिसके परिणामस्वरूप 500 मिलियन डॉलर का बाजार लाभ होगा। किसानों को इसका फायदा होगा।
पाकिस्तान को लग सकता है बड़ा झटका
भारत और यूरोपीय संघ के बीच जीआई टैग सौदा भारत और पाकिस्तान की जीआई मांगने की मौजूदा प्रक्रिया को शून्य कर देगा। यानी इस मसले पर पाकिस्तान को बड़ा झटका लग सकता है। पाकिस्तान हमेशा इस कोशिश में लगा रहता है कि यूरोपीय संघ में भारत को बासमती चावल का जीआई टैग न मिले। भारत ने जुलाई 2018 में जीआई टैग के लिए यूरोपीय यूनियन में आवेदन किया था। जबकि पाकिस्तान ने भी हाल ही में अपना अनुरोध प्रस्तुत किया है।
भारत और पाकिस्तान दो देश ही बासमती के उत्पादक
बताया गया है कि यूरोपीय संघ जीआई टैग प्रदान करने में अपने पैर खींच रहा था, क्योंकि वह चाहता था कि भारत और पाकिस्तान संयुक्त रूप से इसकी मांग करें। लेकिन भारत सरकार ने इस सुझाव को ठुकरा दिया है क्योंकि इससे देश की संप्रभुता अखंडता पर सवाल उठ सकता है। भारत और पाकिस्तान दो देश ही बासमती के उत्पादक हैं। चंद्रशेखरन ने कहा कि यदि समझौता हो जाता है तो यूरोपीय संघ भारत के हितों को समायोजित करने के लिए तैयार हो सकता है। क्योंकि वह अपने अनूठे पनीर, वाइन और स्पिरिट पेय के लिए भारत में जीआई सुरक्षा प्राप्त करने का इच्छुक है।
लोकसभा चुनाव होने के बाद प्रक्रिया तेज करेगा भारत
फ्रांस और इटली जैसे यूरोपीय संघ के कुछ सदस्य देशों में इस साल के अंत में चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में जीआई सौदे को सकारात्मक रूप में देखा जाएगा। इन सदस्य देशों में मौजूदा सरकारों को मदद मिलेगी। फ्रांस और इटली दोनों के पास बहुत सारे उत्पाद हैं जिनके लिए यूरोपीय संघ भारत से जीआई टैग चाहता है। इस सौदे का इन दोनों देशों के किसानों द्वारा स्वागत किए जाने की संभावना है। कहा जा रहा है कि भारत सरकार लोकसभा चुनाव होने के बाद यह प्रक्रिया तेज कर सकती है।