किसी भी पौधे की शुरुआती नई पत्तियों को माइक्रोग्रीन्स कहा जाता है। पिछले कुछ वर्षों में माइक्रोग्रीन्स तेजी से लोकप्रिय हुए हैं। असमें इन में मौजूद फाइटोकेमिकल्स के कारण इन पर कई शोध भी किये जा रहे हैं। कुल 60 अलग अलग तरह के माइक्रोग्रीन पाए जाते हैं। आप इन्हे सलाद या सैंडविच में खा सकते हैं। इन्हें घर में उगाना आसान है। माइक्रोग्रीन्स स्वास्थ के लिए बहुत लाभकारी हैं। विदेशों में इनका इस्तेमाल किया जाता है। जानकारी के मुताबिक माइक्रोग्रीन्स ब्लडप्रेशर को कम करता है। विटामिन और उच्च फाइबर वाले पदार्थ ब्लडप्रेशर को नॉर्मल रखते हैं। माइक्रोग्रीन्स में इन दोनों महत्वपूर्ण तत्वों के साथ-साथ अन्य विटामिन और खनिज भी उच्च मात्रा में होते हैं।
कैंसर से लड़ने में सहायक
जानकारों का कहना है कि माइक्रोग्रीन्स कैंसर से लड़ने में सहायक है। अभी इस विषय पर शोध जारी है, लेकिन कुछ शुरुआती सबूत बताते हैं कि ब्रोकोली माइक्रोग्रीन में बड़े पैमाने में पाया जाने वाला सल्फोराफेन कैंसर से लड़ने में कारगर है। कुछ माइक्रोग्रीन्स कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करते हैं । एक अध्ययन में पाया गया कि लाल पत्तागोभी के माइक्रोग्रीन्स एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, लीवर कोलेस्ट्रॉल और सूजन संबंधी साइटोकिन्स के स्तर को कम करते हैं। क्ययोंकि सभी कारक हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाते हैं।
घर पर भी की जा सकती है माइक्रोग्रीन्स की खेती
माइक्रोग्रीन्स की खेती घर पर भी की जा सकती है। वैसे तो माइक्रोग्रीन किसी भी मौसम में लगाया जा सकता है। लेकिन इन्हे मौसम के अनुसार लगाना फायदेमंद है। धनिया, सरसों, प्याज, मूली, पुदीना, मूंग माइक्रोग्रीन के रूप में उगाने के लिए अच्छी फसलें हैं। खेती के लिए जैविक खाद या मिट्टी की आवश्यकता होती है। माइक्रोग्रीन्स एक सप्ताह में तैयार हो जाते हैं।
सुपरफूड है माइक्रोग्रीन
इन माइक्रोग्रीन्स में अन्य फलों और सब्जियों की तुलना में अधिक पोषक तत्व होते हैं। इसलिए माइक्रोग्रीन्स को सुपरफूड माना जाता है। प्रतिदिन 50 ग्राम माइक्रोग्रीन का सेवन शरीर की सभी पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करता है। डाइट्री फाइबर से लेस माइक्रोग्रीन गट हेल्थ के लिए फाइदेमंद हैं। ये कॉन्स्टिपेशन की समस्या से छुटकारा दिलाता है।