मुंबई : महाराष्ट्र में किसानों के आत्महत्या का सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है | अमरावती, नागपुर और औरंगाबाद विभागों में लगभग 7000 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। जिसकी मुख्य वजह है उन्होंने लिया हुआ कर्ज जिसे वो चूका नहीं पा रहे हैं |
सरकार का दावा है कि किसानों को आत्महत्या करने से रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, लेकिन वह पर्याप्त नहीं हैं। विधानसभा में कुणाल पाटील, सुलभा खोडके सहित अन्य सदस्यों ने किसान आत्महत्या का मामला उठाया, जिसका लिखित जवाब मदद और पुनर्वास मंत्री अनिल पाटील ने दिया। उन्होंने कहा कि लगातार बेमौसम बारिश, ओला वृष्टि और अपर्याप्त बारिश से किसानों का बड़ा नुकसान हुआ है और किसान दिन-प्रतिदिन कर्ज के जाल में उलझ रहे हैं। राज्य में पिछले 3 साल यानी 1 जनवरी, 2020 से 31 दिसंबर, 2022 के बीच अमरावती विभाग में 3452, नागपुर विभाग में 957 तथा मराठवाडा विभाग में 2683 किसानों की आत्महत्या का ब्यौरा है | इन आंकड़ों के मद्देनजर जब जांच की गई तब सामने आई वजह हैं कम कृषि, शाश्वत सिंचन का अभाव, बदलते मौसम, निवेश और श्रम की तुलना में कृषि आय प्राप्त न होना , कृषि उत्पादों का उचित मूल्य नहीं मिलना और कर्ज का जाल | कर्ज की वसूली के कारण अमरावती में 1404, नागपुर में 317 तथा मराठवाडा में 2110 किसानों ने खुदकुशी की है।
सरकार ने बढ़ाया मदद का हाथ
कैबिनेट मंत्री पाटील ने अपने लिखित उत्तर में कहा है कि औरंगाबाद विभागीय आयुक्त ने मदद और पुनर्वास विभाग को 30 जून, 2023 को भेजी रिपोर्ट में किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए खरीफ और रबी मौसम में प्रति एकड़ 10 हजार रुपये अनुदान देने की सिफारिश की थी। तत्कालीन विभागीय आयुक्त औरंगाबाद के तेलगांना की तर्ज पर प्रति एकड़ 10 हजार रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी देना संभव नहीं है। केंद्र की ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान‘ योजना के तहत किसानों को हर साल 6 हजार रुपये दिए जाते हैं। इसके अलावा राज्य सरकार ने ‘नमो किसान महासम्मान‘ योजना के तहत हर साल 6 हजार रुपये देने के लिए 6060 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया है। जिसमें राज्य सरकार की ओर से किसानों के खाते में 6,000 रुपये भेजे जायेंगे | साथ ही साथ केवल एक रुपये में फसल बीमा योजना का लाभ भी देंगे|
कर्ज में डूबे किसान मुआवजा के लिए मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
महाराष्ट्र के हिंगोली में रहने वाले एक किसान ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को एक पत्र लिखकर हर्जाने की मांग की है। उस का कहना है कि अगर हर्जाना नहीं दिया जाता है तो उनके पास खुद की जान देने के सिवा और कोई विकल्प नहीं है। दरअसल, किसान पर करीब 20 लाख रुपये का कर्ज है। दरअसल अनार की खेती में नुकसान होने के कारण वह बैंकों का कर्ज चूका नहीं पाया है | बार बार आ रहे बैंकों के नोटिस से वह परेशान हो गया है |