प्याज की खेती के लिए मध्य प्रदेश के किसानों ने नई तकनीक का इजाद किया है। इस नई तकनीक से पैदावार भी अच्छी होती है और इसमें लागत भी कम है। कृषि क्षेत्र में आए दिन नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। किसान भी पारंपरिक खेती को छोड़ नई चीजों को अपना रहे हैं। जिससे उनका नुकसान कम होता है, लागत कम होती है और पैदावार भी अच्छी होती है। एमपी के किसानों ने प्याज की खेती करने वाले किसानों के लिए एक अनूठा तरीका ढूंढ निकाला है।
जिले में बेमौसम बारिश के कारण किसानों को फसल का नुकसान उठाना पड़ रहा है। जबकि प्याज की पैदावार कर रहे किसानों ने प्रकृति की मार से सुरक्षित निकालने का रास्ता खोज निकाला है। मध्य प्रदेश के सीहोर में किसानों ने कम पानी में प्याज की खेती करने का तरीका आजमाया है।
पानी की कमी से किसानों को सुझा नया तरीका
प्याज की नई तकनीक की शुरुआत मध्य प्रदेश के सीहोर के किसानों ने की है और इससे उन्हें फायदा भी हो रहा है। सीहोर में पानी की कमी से अक्सर खेती के लिए पानी नहीं मिलता है । लेकिन अब कम पानी में खेती का तरीका किसानों के लिए मोटे मुनाफे का जरिया बन गया है।प्याज की नई तकनीक से किसानों को मौसम संबंधी नुकसान का सामना भी नहीं करना पड़ेगा।
कम पानी में प्याज की खेती
नई तकनीक अपनाने के बाद सीहोर के किसानों के लिए प्याज की खेती फायदेमंद हो गई है । जिले के कई किसान नई तकनीक से प्याज की खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं। इसमें किसानों की लागत भी कम हो रही है और मुनाफा भी बढ़ रहा है। सिरोह में खेती के लिए पानी की उपलब्धता कम है। खेती के लिए यहां मजदूरों का मिलना भी मुश्किल होता है। ऐसे में यहां के किसानों ने कम लागत, कम पानी के साथ प्याज की खेती का तरीका अपनाया है।
1 एकड़ में 180 क्विंटल प्याज की पैदावार
रफीगंज जिले के किसान ने बताया कि बीते 2 साल से 5 एकड़ में वह प्याज की खेती नई तकनीक से कर रहे है।प्याज की खेती करने के लिए खेत में बक्खर चला कर पलेवा करते है। इसके बाद खेत को एक महीने तक धूप में छोड़ दिया जाता है। इसके बाद बक्खर और रोटावेटर चला कर खेत में ढाल बनायीं जाती है। इस तकनीक से खेती करने के लिए खेत में समय-समय पर पानी के साथ साथ डीएपी का छिड़काव भी करना होता है। किसानों के मुताबिक़ इस तकनीक से खेती करने पर एक एकड़ जमीन में लगभग 170 -180 क्विंटल प्याज की पैदावार होती है। मध्य प्रदेश में प्याज का उत्पादन अधिक होता है।