प्यार को लेकर केन्द्र और महाराष्ट्र सरकार की परेशानी बढ़ी हुई हैं। क्योंकि प्याज के किसानों को उपनी उपज का मूल्य नहीं मिल रहा है। जिसके बाद वह सरकारी की नीतियों का विरोध कर रहे हैं। असल में प्याज एक ऐसी फसल है जो जल्दी खराब हो जाती है। इसकी सड़क की समस्या बहुत बड़ी है। इससे करोड़ों रुपये की फसल बर्बाद हो जाती है। एक शोध के अनुसार रखरखाव के दौरान कम से कम 30 प्रतिशत फसल बर्बाद हो जाती है। भंडारण चाहे जो भी हो। इसलिए अब सरकार इसका पाउडर बनाना चाहती है और इसे विकिरण से उपचारित करके इसकी आयु बढ़ाना चाहती है। यह उपचार प्याज को अंकुरित होने से रोकता है, जिससे इसकी शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है। अब इसी कड़ी में सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद लेकर इसकी बर्बादी रोकना चाहती है। उम्मीद है कि इस प्रयास से 11 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी।
भंडारण में रखा हजारों करोड़ का प्याज सड़ने के कारण बर्बाद हो जाता है। इस बर्बादी को रोकने के लिए सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ले रही है। खरीफ सीजन का प्याज वैसे ही रखने लायक नहीं होता है, क्योंकि इनकी शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है। रबी सीजन का प्याज रखने लायक होता है। मई में नहीं उगने वाले प्याज को दिसंबर दिसंबर तक रखने की कोशिश की जाती है। लेकिन दुर्भाग्य से सर्दियों में बोया गया लगभग एक चौथाई प्याज पारंपरिक भंडारण सुविधाओं के कारण खराब हो जाता है। जिसे अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से रोकने की कोशिश की जाएगी।
पायलट प्रोजेक्ट होगा शुरू
इंटरनेट ऑफ थिंग्स के माध्यम से डेटा एकत्र किया जाएगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के जरिए सेंसर प्याज के सड़ने और सूखने जैसे डेटा की जानकारी देंगे। इतना ही नहीं इससे यह जानने में भी मदद मिलेगी कि 100 के बैच में रखा कौन सा प्याज सही है और कौन सा खराब हो रहा है। इसके जरिए अन्य प्याज को खराब होने से रोका जा सकता है। यदि सड़े हुए प्याज को समय पर स्टोर से बाहर निकाल लिया जाए। इससे प्याज को भंडारण में सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। एक अधिकारी का कहना है कि एआई तकनीक के जरिए सरकार प्याज को बर्बाद होने से बचाना चाहती है। तकनीक की मदद से सरकार को गोदामों में रखे प्याज का वास्तविक आंकड़ा पता चल सकेगा।
100 केंद्र बनाने की योजना
पायलट प्रोजेक्ट के जरिए करीब 100 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित स्टोरेज सेंटर स्थापित किए जाएंगे। इसके साथ ही आने वाले तीन वर्षों में लगभग 500 केंद्रों को जोड़ा जाएगा। अब तक इस बात का खुलासा नहीं हुआ है कि इस एआई प्रोजेक्ट के लिए सरकार को कितना पैसा खर्च करना होगा। जब भी बाजार में प्याज की कीमत बढ़ती है, सरकार खुदरा कीमतों को स्थिर करने के लिए बाजार में प्याज भेजती है। अगर प्याज खराब नहीं हुआ तो महंगाई भी कम हो सकती है।