पंजाब में कृषि विभाग के करीब 900 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। विभाग ने यह नोटिस ‘मिसिंग क्रॉप रिलेस्ट मैनेजमेंट’ मशीनों के मामले में जारी किया है। अधिकारियों से कहा गया है कि वे नोटिस जारी होने के 15 दिनों के भीतर अपना जवाब भेजें। नोटिस में सहायक उपनिरीक्षकों, कृषि विकास अधिकारियों, कृषि विस्तार अधिकारियों और कृषि अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं। कहा जा रहा है कि जांच में पता चला है कि केंद्र सरकार की सब्सिडी के साथ खरीदी गई 90,422 फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों में से लगभग 11,000 गायब पाई गईं।
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018-19 और 2021-22 में किसानों के बीच मशीनें वितरित की गईं। आरोप है कि करीब 140 करोड़ रुपये की मशीनें किसानों तक कभी नहीं पहुंची और कथित तौर पर फर्जी बिल जमा करके धन का गबन किया गया। इन चार वर्षों के दौरान केंद्र सरकार ने मशीनों की खरीद के लिए राज्य सरकार को 1178 करोड़ रुपये दिए। खास बात यह है कि जिन सबसे ज्यादा मशीनें फरीदकोट, फिरोजपुर, अमृतसर, गुरदासपुर, फाजिल्का, बठिंडा, मोगा और पटियाला में गायब मिलीं।
धारा 8 के तहत जारी नोटिस
इन्हें फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए केंद्र प्रायोजित योजना के तहत 2018-19 और 2021-22 के बीच वितरित किया गया था। सभी पराली प्रबंधन मशीनें भौतिक सत्यापन के बाद जारी की गई हैं। मशीनों का सत्यापन नवंबर 2023 में पूरा किया गया था, जिसके बाद पंजाब सिविल सेवा (दंड और अपील) नियम 1970 की धारा 8 के तहत नोटिस जारी किए गए हैं। ये नोटिस गायब मशीनों के लिए हर अधिकारी के खिलाफ जारी किए गए हैं। संख्या का उल्लेख किया गया है।
इन जिलों में सबसे ज्यादा मशीनें गायब
विशेष मुख्य सचिव, कृषि, केएपी सिन्हा ने नोटिस की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि फरीदकोट, फिरोजपुर, अमृतसर, गुरदासपुर, फाजिल्का, बठिंडा, मोगा और पटियाला जिलों में सबसे ज्यादा मशीनें गायब पाई गई हैं। केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक टीम ने फील्ड सर्वे किया था लेकिन स्कीम के तहत बनाए गए कस्टम-हायरिंग केंद्रों का पता नहीं लगा सकी।
अधिकारियों ने की निंदा
कृषि विभाग के अधिकारियों की विभिन्न यूनियनों की एक बैठक बठिंडा में आयोजित की गई, जहां उन्होंने नोटिस जारी करने की निंदा की, जिसमें आरोप लगाया गया कि योजना के तहत लाभार्थी ऑनलाइन आवेदन करेंगे और उपायुक्तों की अध्यक्षता वाली एक समिति ड्रॉ के माध्यम से प्राप्तकर्ताओं का चयन करेगी। बाद में विभागीय टीमों ने मशीनों का भौतिक सत्यापन किया और फिर सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के खातों में स्थानांतरित कर दी।