दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर चल रहा किसानों का आंदोलन फिलहाल खत्म हो गया है, हालांकि किसानों का कहना है कि नोएडा अथॉरिटी के बाहर किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा। इससे पहले किसानों ने नोएडा पुलिस कमिश्नर के साथ बैठक की और इस बैठक में पुलिस कमिश्नर ने किसानों से 11 फरवरी तक का समय मांगा। सरकार की ओर से किसानों को बताया गया कि 11 फरवरी के बाद हाई पावर कमेटी का गठन किया जाएगा। कमेटी में तीनों प्राधिकरणों के सीईओ, चेयरमैन, औद्योगिक विकास मंत्री और विधायक सांसद को शामिल करने को कहा गया है। वहीं, किसानों का कहना है कि कमिश्नर के साथ उनकी मुलाकात का कोई नतीजा नहीं निकला है।
किसानों को सरकार की ओर से एक उच्च स्तरीय समिति बनाने का आश्वासन दिया गया। इसके बाद किसानों ने प्रदर्शन खत्म कर दिया है। इसमें कहा गया है कि किसानों की मांगों का आठ दिन में समाधान निकाल लिया जाएगा। लेकिन किसानों का कहना है कि फिलहाल नोएडा अथॉरिटी, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और एनपीटीसी के खिलाफ विरोध जारी रहेगा। फिलहाल किसान अभी धरना खत्म करने के मूड में नहीं हैं। गौरतलब है कि कल दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर किसानों के मार्च की वजह से जाम की स्थिति बन गई थी। इससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, जिसके बाद नोएडा कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने किसानों के साथ बैठक की।
किसानों के मार्च के लिए सुरक्षा बढ़ाई गई
किसानों के प्रस्तावित मार्च को देखते हुए पुलिस ने पहले ही यहां का रूट डायवर्ट कर दिया था। सुरक्षा के मद्देनजर ड्रोन कैमरों से नजर रखी जा रही थी। इसके अलावा क्रेन, बुलडोजर और वज्र का भी इस्तेमाल किया गया। दिल्ली-नोएडा चिल्ला बॉर्डर पर भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। किसान संगठन नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहित भूमि के बदले मुआवजे और भूखंडों को बढ़ाने की मांग को लेकर दिसंबर 2023 से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इसके बाद स्थानीय प्रशासन पर किसानों का दबाव बढ़ाने के लिए महापंचायत बुलाई गई और दिल्ली में संसद तक विरोध मार्च का ऐलान किया गया।
13 फरवरी को दिल्ली कूच करेंगे किसान
वहीं कई राज्यों के किसान एमएसपी गारंटी कानून समेत अन्य मांगों को लेकर एक बार फिर 13 फरवरी को दिल्ली पहुंचने वाले हैं। इन किसानों की मांग है कि सभी फसलों की खरीद पर एमएसपी गारंटी एक्ट बनाया जाए और सभी फसलों का दाम डॉ. स्वामीनाथन आयोग के निर्देशों पर आधारित हो, सी को 2+50% फॉर्मूले के अनुसार तय किया जाए। इसके अलावा पिछले आंदोलन के दौरान जो मांगें अधूरी रह गई थीं, उन्हें भी पूरा करने की मांग की जा रही है। किसानों की मांग है कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को भी इसी तरह लागू किया जाए और भूमि अधिग्रहण को लेकर केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को दिए गए निर्देशों को रद्द करते हुए इन मांगों के अलावा किसानों की ओर से कई अन्य महत्वपूर्ण मांगें रखी गई हैं।