नई दिल्ली: चीनी के बढ़ते दामों ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। जिसके चलते वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतों में उछाल आया है। इसके अलावा मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक मानसून 2023 में हुई देरी के कारण चीनी उत्पादन पर अलनीनो का प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए कीमतों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है।
चीनी उत्पादन के मामले में भारत विश्व के शीर्ष देशों में से एक है। भारत ने चीनी से विभिन्न प्रकार के उत्पाद भी तैयार किये जाते हैं। हालांकि वर्तमान में चीनी की कीमतों से जुड़े चिंताजनक परिदृश्य सामने आ रहे है और देश में चीनी के कारण लोगों की रसोई का बजट बिगड़ गया है। यह वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतें 11 साल की ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। इससे शुगर के शेयरों में काफी वृद्धि हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मांग में वृद्धि और आपूर्ति में कमी के कारण चीनी की कीमतों में तेजी आई है। जिससे कि उच्च गुणवत्ता वाली शुगर में 14 प्रतिशत और राजश्री शुगर्स में 8 प्रतिशत महंगी हुई है। इसके अलावा डालमिया भारत शुगर्स, सिम्भावली, शक्ति शुगर्स, धामपुर शुगर मिल्स, और बजाज हिंद के शेयरों में भी 5 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक द्वारिकेश शुगर इंडस्ट्रीज के एमडी विजय बांका ने मानसून की धीमी रफ्तार और चीनी उत्पादन पर इसके संभावित प्रभावों के बारे में चिंता व्यक्त की है |उन्होंने कहा मौसम विभाग सामान्य मानसून को लेकर उत्साहित है लेकिन मानसून में देरी हुई है। इसलिए अगर अलनीनो होता है तो इसका मतलब भारत के साथ-साथ ब्राजील में भी कम शुगर उत्पादन पर प्रभाव पड़ेगा। यदि मानसून की कमी रहती है तो सीजन 2023-24 में फसल पर इतना प्रभाव नहीं पड़ेगा लेकिन उसके बाद के सीजन पर इसका असर जरूर पड़ेगा। चीनी के कम उत्पादन का मतलब केवल यह होगा कि निर्यात के लिए अलग रखी जाने वाली चीनी में कमी आएगी। इसलिए सरकार उस संख्या को मॉडरेट करने जा रही है।