जयपुर : राजस्थान में किसान भाई त्योहारों में कैर के साथ सांगरी मिलाकर सब्जी बनाते हैं। इसके अलावा कई लोग पंचकुटा नामक सब्जी भी बनाते हैं। जिसमें सांगरी का महत्वपूर्ण भूमिका होती है | इसकी खेती करने से किसान भी मालामाल हो सकते हैं |
लोगों को आमतौर पर लगता है कि बादाम, अंगूर और सेब व मेवे की खेती में ही अधिक कमाई होती है क्योंकि फल और मेवे बाजार में काफी महंगे बिकते हैं। लेकिन यह सच नहीं है। यदि किसान भाई सांगरी की खेती करते हैं तो वे इससे भी ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। सांगरी एक प्रकार की सब्जी होती है जिसकी खेती रेतीली मिट्टी में की जाती है। राजस्थान में कई किसान सांगरी की खेती करते हैं। यह मार्केट में काफी महंगी बिकती है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर एक किलो सांगरी की कीमत लगभग 1000 रुपये के करीब होती है।
बाजार में 800 से 1200 रूपये किलो है मूल्य
राजस्थान में किसान त्योहारों के दौरान कैर के साथ मिलकर सांगरी की विशेष तौर पर सब्जी बनाते हैं। इसके साथ ही कई लोग पंचकुटा की सब्जी भी बनाकर खाते हैं। सांगरी की सब्जी खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो जाती है। कोरोनाकाल में चिकित्सकों ने लोगों को सांगरी का सेवन करने की सलाह दी थी। राजस्थान के सीकर, नागौर, चुरू और झुंझुनू के किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती करते हैं। इस बार मौसम के उथल पुथल के चलते इसके उत्पादन पर प्रभाव पड़ा है जिससे कि बाजार में इसका दाम 800 रुपये से बढ़कर 1200 रुपये प्रति किलो बढ़ गया है।
सांगरी की खेती
सांगरी की खेती नहीं करनी पड़ती है, क्योंकि ये बहुत ही खास सब्जी है, जो प्राकृतिक रूप से उगती है। इसमें किसी प्रकार के कीटनाशक या दवा की जरूरत नहीं होती है और न ही किसी प्रकार की खाद की। सांगरी खेजड़ी के पेड़ (fig tree) पर उगती है, जो स्वाभाविक रूप से उगती है।
पोषक तत्वों से भरपूर होती है सांगरी
राजस्थान में खेजड़ी पौधे से सांगरी का उत्पादन होता है। लोग इसे सूखाकर घर में रख लेते हैं और फिर साल भर सुखी हुई सांगरी की सब्जी बनाते हैं । यह सब्जी फाइव स्टार होटलों में भी लोकप्रिय है। सांगरी में जिंक, प्रोटीन, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम और फाइबर की अच्छी मात्रा होती है। इसे खाने से शरीर स्वस्थ रहता है। सांगरी की खेती करने के लिए किसानों को बहुत मेहनत नहीं करनी पड़ती है क्योंकि यह अपने आप उग जाती है। एक विशेष तकनीक से इसकी खेती की जा सकती है जिसमें पौधों को कलम बांधने (ग्राफ्टिंग) के माध्यम से उगाया जाता है। ग्राफ्टिंग की विधि से तैयार पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है इसलिए किसान ग्राफ्टेड पौधों से सांगरी की खेती कर सकते हैं।