सरकारी बैंकों से नहीं मिल रहा है कर्ज, साहूकारों जाल में में फंसे राज्य के हजारों किसान

बैंक का कर्ज न चूका पाने वाले किसानों पर साहूकार से कर्ज लेने की नौबत आ गई है। माना जा रहा है की पिछले 9 महीनों में जिले में 602 लाइसेंसधारी साहूकारों ने 63,063 कर्जदारों को 67.44 करोड़ रुपये का कर्ज बांटा है। जबकि निजी ऋणदाताओं के कर्ज की संख्या इससे कहीं अधिक है। बेमौसम बारिश और अन्य कारकों के कारण फसलों की उत्पादकता में कमी आयी है। हाल तो ये है की कई किसान लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं । किसानों के लिए पारिवारिक जरूरतों के साथ-साथ बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य के खर्च के लिए धन उपलब्ध कराना चुनौतीपूर्ण हो जाता है, जिससे किसानों की मुश्किलें बढ़ रही हैं।

साहूकारों के चक्कर में फंसे किसान

बैंकों से लिया गया कर्ज चुकाने में असमर्थ किसानों को दूसरे सीज़न में बुआई के लिए धन जुटाने की चुनौती का सामना करना पड़ता है। ऐसे समय में,किसान साहूकारों के पास जाते है जो लाइसेंस प्राप्त साहूकार से कर्ज लेते हैं। यह लोन आभूषण, प्लॉट, मकान, खेती गिरवी रखकर लिया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में अवैध साहूकारी का भी चलन बढ़ा है। उसके लिए तीन,पांच प्रतिशत प्रति माह की दर और उसपर चक्रवृद्धि ब्याज लगाकर किसानों से पैसे ऐंठे जाते हैं।

इस संबंध में सहकार विभाग में शिकायत किये जाने पर ऐसे ऋणदाताओं के खिलाफ कार्रवाई किये जाने का प्रावधान है। लेकिन पहले से ही कर्ज में दुबे किसान शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। परिणामस्वरूप, निजी साहूकार उनसे शुल्क वसूलते हैं और दरें दोगुनी कर देते हैं। जिससे किसान बुरी तरह साहूकार के जाल में फंस जाता है।

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