हजारों सालों में सबसे गर्म रहा साल 2023! फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान, जून 2024 तक बना रहेगा संकट

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जलवायु में तेजी से हो रहे बदलावों के कारण विश्व स्तर पर साल 2023 को 1 लाख साल में सबसे गर्म माना गया है। इस वजह से फसल उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। भारत में फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान पहुंचा है। कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस ने कहा है कि गर्म वातावरण का असर जून 2024 तक जारी रहने का खतरा बना हुआ है। गर्म वातावरण के कारण ग्रीन घर की गैसों में गिरावट के साथ-साथ अन्य प्राकृतिक परिवर्तन होते हैं, जिनमें समुद्रों के नीचे प्रवाल भित्तियों का गर्म होना भी शामिल है।

यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर (ईसीएमआरएफ) कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के वैज्ञानिकों के अनुसार, कैलेंडर वर्ष 2023 में मौसम ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए और अनुमान है कि 2023 विश्व स्तर पर 100,000 वर्षों में सबसे गर्म रहा है। कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) की उप निदेशक सामंथा बर्गेस ने कहा कि वर्ष 2023 न केवल रिकॉर्ड पर सबसे गर्म रहा है। 2023 के संबंध में, 2023 को सबसे गर्म वर्ष होने के पीछे मुख्य कारण ग्रीनहाउस गैसों में गिरावट,, अल नीनो और अन्य प्राकृतिक परिवर्तन रहे हैं।

भारत में फसलों पर गर्म मौसम का प्रभाव

उप निदेशक सामंथा बर्गेस ने कहा कि जलवायु परिवर्तन ने भारत को प्रभावित किया है और खरीफ उत्पादन में 3 प्रतिशत से अधिक की कमी का अनुमान लगाया गया है। जबकि, खड़ी रबी फसलों को पानी की अनुपलब्धता के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसका सबसे ज्यादा असर दक्षिण भारत की फसलों पर देखने को मिल रहा है। मसूर: प्याज, सरसों समेत ज्यादातर रबी फसलों का रकबा कम हुआ है। हालांकि सबसे बुरा असर गन्ने की फसल पर देखने को मिला है। कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) के कार्लो बूनटेम्पो ने कहा कि 2023 में वैश्विक स्तर पर समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि के लिए अकेले अल नीनो जिम्मेदार नहीं है।

गर्म वातावरण के लिए जिम्मेदार कई कारण

सामंथा बर्गेस ने कहा कि 2023 में समुद्री हीटवेव एक आम घटना थी, जो भूमध्य सागर, मैक्सिको की खाड़ी और कैरिबियन, हिंद महासागर और उत्तरी प्रशांत और उत्तरी अटलांटिक के अधिकांश क्षेत्रों को प्रभावित करती थी। उन्होंने कहा कि लंबे समय से मौसम पर कई कारकों का भी असर पड़ा है। अशांति ने प्रभावित किया है। कोपरनिकस ग्लोबल क्लाइमेट हाइलाइट्स के अनुसार, 2023 में वैश्विक औसत तापमान 14.98 डिग्री सेल्सियस देखा गया, , 2016 में पिछले उच्चतम वार्षिक मूल्य की तुलना में 0.17 डिग्री सेल्सियस अधिक है। 2023 में जून से दिसंबर तक प्रत्येक महीना पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में गर्म था। जूतसितंबर 2023 1991-2020 के औसत से अधिक तापमान वाला महीना था, इसके डेटासेट में किसी भी महीने से अधिक था। जबकि, दिसंबर 2023 विश्व स्तर पर रिकॉर्ड पर सबसे गर्म दिसंबर था। वैज्ञानिक कार्लो बूनटेम्पो ने कहा कि 2023 का मौसम कितना गर्म होगा, इसके संकेत जून की शुरुआत में दिखाई देने लगे थे।

जून 2024 तक गर्म मौसम का पूर्वानुमान

वैज्ञानिक कार्लो बूनटेम्पो ने कहा कि अल नीनो के कारण जनवरी और फरवरी 2024 में भी तापमान असामान्य रूप से गर्म रहने की आशंका है। वहीं, वैज्ञानिक सामंथा बर्गेस ने कहा कि वैश्विक महासागर का तापमान 2023 में पहले की तुलना में अधिक रहा। उन्होंने कहा कि 2023 के अंत में देखी गई वार्मिंग प्रवृत्ति अल नीनो के समाप्त होने से पहले कम से कम मार्च 2024 तक जारी रहेगी। साथ ही, यह भी आशंका जताई जा रही है कि 2024 की पहली तिमाही में गर्म मौसम का रुख जारी रह सकता है और यह जून 2024 तक जा सकता है।

 

 

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