गेंहू की गर्माहट के लिए रहे तैयार किसानो और आम आदमी को लग सकता है झटका

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में तीसरा प्रारंभिक फसल उत्पादन अनुमान जारी किया है , जिसमें इस वर्ष गेहूं उत्पादन की मात्रा 112 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया गया है। खरीद और भंडारण के आंकड़ों के आधार पर गेहूं के कैलोरी मान का अनुमान लगाया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, इस वर्ष गेहूं की भीषण गर्माहट न केवल आम जनता के लिए बल्कि किसानों के लिए भी परेशानी का कारण बन सकती है। आइये पुरे मामले को विस्तार से समझने का प्रयास करते है।

क्या है खरीद और स्‍टॉक का गणित:
देश के गेहूं भंडार खाली हैं। 1 अप्रैल तक, गेहूं का स्टॉक 75 मिलियन टन था, जो बफर स्टॉक से थोड़ा ऊपर और 16 वर्षों में सबसे निचला स्तर था। इस बीच, गेहूं खरीद प्रक्रिया शुरू हो गई है, इस साल 372 मिलियन टन गेहूं खरीदने की योजना है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अब तक 20 करोड़ से ज्यादा किसानों से 265 मिलियन टन गेहूं खरीदा जा चुका है, जबकि कई राज्यों में गेहूं खरीद प्रक्रिया रोक दी गई है। माना जा सकता है कि इस साल गेहूं खरीद का लक्ष्य भी पूरी नहीं हो पायेगा ऐसे में लगातार तीसरी बार भी गेहूं खरीद का टारगेट पूरा नहीं हो पाया है । ऐसे में राज्य में गेहूं का भंडार भी 300 टन होने का अनुमान है। इन सबके बीच खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिए 80 मिलियन लोगों को मुफ्त अनाज भी वितरित किया जाएगा, जिसके लिए स्टॉक से ही 185 मिलियन टन गेहूं उपलब्ध कराया जाएगा।

गेंहू इंपोर्ट की दास्तान:
गेहूं खरीद की सुस्‍त चाल, गेहूं स्‍टॉक की बेहाली के इस साल और देश में गेहूं की बनी हुई मांग के बीच गेहूं के दाम MSP से अधिक चल रहे हैं। गेहूं के दामों में ये तेजी MSP पर गेहूं की खरीदी के दौरान जारी है। इन हालातों को देखते हुए देश में गेहूं इंपोर्ट की पैरवी होने लगी है। आटा फ्लोर मिल्‍स एसोसिएशन ने गेहूं इंपोर्ट पर लगाई गई 44 फीसदी ड्यूटी हटाने की मांग की है, जिससे विदेशाें से सस्‍ता गेहूं भारत आ सके। हालांकि गेहूं इंपोर्ट पर नई सरकार पर फैसला लेना है, लेकिन माना जा रहा है कि अगर गेहूं इंपोर्ट होता है, तो 50 मीट्रिक टन इंपोर्ट किया जा सकता है|

किसान और आम आदमी के लिए खतरा बन सकता है गेहूं इंपोर्ट
गेहूं आयात को लेकर बाजार काफी गर्म है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना ​​है कि गेहूं आयात किसानों और आम लोगों के लिए खतरनाक है। यदि गेहूं का आयात किया जाता है, तो बेहतर कीमतों की तलाश में गेहूं का भंडारण करने वाले किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। जब गेहूं का आयात किया जाता है, तो गेहूं की कीमतें कुछ बिंदु पर गिरेंगी। संभवतः यह माना जा रहा है कि इस गेहूं आयात नीति के कारण किसान गेहूं प्रबंधन में असफल हो जायेंगे।

वहीं गेहूं आयात नीति आम आदमी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है. दरअसल, आयातित गेहूं की कीमत में कमी आएगी, लेकिन एक निश्चित अवधि के बाद देश में मांग की कमी के कारण कीमत में तेज़ी से बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसे में आम आदमी को गेहूं के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है। अगले साल अप्रैल में गेहूं की नई फसल आने वाली है, इसलिए सख्त स्टॉक लिमिटेशंस बहुत महत्वपूर्ण होंगे।

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