केंद्र सरकार अब दाल की बढ़ती कीमतों पर एक्शन लेने की तैयारी में है। ऐसा माना जा रहा की अब दाल व्यापारियों और रिटेलर्स को उरद, पीली मटर तुअर दालों के स्टॉक का खुलासा करना ज़रूरी होगा। सरकार का ऐसा मानना है की रिटेलर्स और व्यापारियों ने तय लिमिट से अधिक स्टॉक पहले ही कर रखा है। जिसकी वजह से मार्किट में दाल के भाव में लगातार बढ़त देखने को मिल रही है।
एक महीने पहले की तूलना में अप्रैल में तुअर दाल की कीमत 100 रुपये प्रति किलो थी और अब ऐसा ही उछाल बाकी दाल की कीमतों में भी देखने को मिल रहा है।
दलों की कीमतों ने बढ़ाई सरकार की चिंता
कई रिपोर्ट्स के मुताबिक बढ़ती दाल की कीमतें सरकार के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। 2023 -24 एग्रीकल्चर ईयर में अरहर का प्रोडक्शन 3 .33 मिलियन टन होने की आशंका है। जो की पिछले साल की तूलना में कम है। ऐसा मन जा रहा की अगर अरहर के उत्पादन में कमी आती है तो इसका सीधा असर दाल की कीमतों में देखने को मिलेगा।
कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए कई प्रयास
दालों की थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति फरवरी में 18.48 फीसदी रही, जो जनवरी में 16.06 प्रतिशत थी। हालांकि, अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनाव के साथ, सरकार ने खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए कई प्रयास किए हैं। जैसे निर्यात प्रतिबंध लगाना, स्टॉक सीमित करना, अपने स्वयं के स्टॉक को उतारना और आयात शुल्क हटाना शामिल है। दिसंबर 2023 की शुरुआत में, केंद्र ने मार्च 2024 तक पीली मटर के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति दी और बाद में दालों की कीमतों को कम करने के प्रयासों के तहत इसे अप्रैल तक बढ़ा दिया।
31 मार्च तक लगभग 10 लाख टन पीली मटर का आयात
सरकारी अनुमान के अनुसार, भारत ने इस वित्तीय वर्ष में 31 मार्च तक लगभग 10 लाख टन पीली मटर का आयात किया है, जो हाल के दिनों में सबसे अधिक हो सकता है। भारत बड़े पैमाने पर कनाडा और रूस से पीली मटर का आयात करता है। फसल वर्ष 2022-23 में कुल दलहन उत्पादन 26.05 मिलियन टन था। खपत लगभग 28 मिलियन टन सालाना होने का अनुमान है।