प्याज की घटती कीमतें और उसका भण्डारण किसानों के लिए बड़ी समस्या है। इससे निपटने के लिए और किसानों को राहत दिलाने के लिए केंद्र सरकार एक्शन मोड़ में आ गई है। 5000 टन प्याज को विकिरणित करने का लक्ष्य सरकार ने रखा है। यह प्रोटोकॉल भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) द्वारा विकसित किया गया है।
कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए किसानों से बड़ी मात्रा में प्याज ख़रीदा जायेगा साथ ही इसे विकिरणित कर इसकी शेल्फ लाइफ को बढ़ाया जायेगा। गौतलब है की पिछले साल 1200 टन प्याज गामा किरणों का उपयोग करके विकिरणित किया गया था।
नासिक स्थित लासलगांव में बीएआरसी का पायलट प्रोजेक्ट
एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीएआरसीने प्याज-विशिष्ट विकिरण और शीत भंडारण प्रणाली विकसित की है, जो ‘रबी’ प्याज के भंडारण अवधि को 7.5 महीने तक बढ़ाती है। विकिरण विधि से भंडारण करने से प्याज का नुकसान 25 फीसदी से घटकर 10 प्रतिशत पर पहुंच गया है। सरकार वर्तमान में नासिक स्थित लासलगांव में बीएआरसी के सहयोग से निर्मित विकिरण सुविधा की उपस्थिति का विस्तार करने पर विचार कर रही है।
फसल के नुक्सान को कम करेगी यह तकनीक
सरकार विकिरण के बाद खरीदे गए प्याज को लासलगांव से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली जैसे उपभोक्ता केंद्रों के नजदीक कोल्ड स्टोरेज में परिवहन करने पर भी विचार कर रही है, जिससे परिवहन घाटे में कमी आने की संभावना है। विकिरण का एक अन्य उद्देश्य भंडारण के दौरान प्याज के अंकुरण के कारण होने वाले नुकसान को नियंत्रित करना है। यह प्रोटोकॉल प्याज भंडारण की दीर्घकालिक चुनौतियों का समाधान करेगा और फसल के बाद के नुकसान को कम करेगा। साथ ही बाजार मूल्य में उतार-चढ़ाव में मदद करेगा।
0.5 मिलियन टन (एमटी) प्याज की खरीद
पिछले महीने, सरकार ने राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) और किसानों की सहकारी संस्था नाफेड को किसानों से बफर के लिए बाजार मूल्य पर 0.5 मिलियन टन (एमटी) प्याज की खरीद शुरू करने का निर्देश दिया था, क्योंकि रबी की फसल बाजार में आनी शुरू हो गई है। खरीदे गए प्याज का उपयोग बफर स्टॉकिंग के साथ-साथ कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना को रोकने के लिए किया जाता है।