भारत में विदेशी फलों और सब्जियों की खेती का दायरा बढ़ रहा है। किसान अधिक मुनाफे के लिए इन फसलों को प्राथमिकता दे रहे हैं। जुकीनी कद्दू वर्गीय सब्जियों में से एक है जहां पहले इसकी खेती केवल विदेश में ही होती थी वहीं अब भारत में किसान इसकी खेती करने लगे हैं। अक्सर सलाद के तौर पर जुकीनी को खाया जाता है। किसान इसकी खेती से मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
विटामिन, मिनरल्स और प्लांट बेस्ड हर पोषक तत्व से भरपूर
जूकिनी का प्रयोग अक्सर किसी भोजन को स्वादिष्ट बना देता है। जूकिनी का दूसरा नाम समर स्क्वैश है। हरे रंग के अलावा जूकिनी पीले और हल्के हरे रंगे में भी मिलती है। जूकिनी वह सब्जी है जिसमें विटामिन, मिनरल्स और प्लांट बेस्ड हर पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए कई लोग जो डाइटिंग करते हैं, वो जूकिनी को तरजीह देते हैं। यह न सिर्फ दिल को स्वस्थ रखता है बल्कि डायबिटीज से भी बचाता है।
कई रोगों को दूर कराती है जुकीनी
जुकीनी आंखों की परेशानी, मोटापा कम करने, उम्र के कारण होने वाले दाग धब्बे, हड्डियों को मजबूत करने, बीपी नियंत्रण करने में ब्लड फ्लो बनाए रखने में और टाइप टू डायबिटीज में, पाचन आदि रोगों को दूर करने में मदद कराती है।
जाने जुकीनी की बुआई का सही तरीका
जुकिनी की प्रमुख उन्नत किस्मों में ऑस्ट्रेलियाई ग्रीन4-5, अर्ली येलो प्रोलिफिक, पूसा पसंद, पैटीपैन आदि प्रमुख किस्में में शामिल है। जुकीनी की खेती के लिए 1 हेक्टेयर खेत में 8 से 10 किलोग्राम बीच का प्रयोग कर सकते हैं। बुवाई से पहले बीजों को अंकुरित कर लेना चाहिए। बुआई के एक से डेढ़ महीने में पौधे में फल लगना शुरू हो जाता है। 60 से 70 दिनों में जुकीनी तैयार हो जाती है।
दस हजार साल पहले से होती है खेती
जूकिनी एक इटैलियन शब्द है लेकिन इसकी खोज अमेरिका में हुई थी। यहां पर इसे देसी डाइट के अहम हिस्से के तौर पर शामिल किया जाता था। पुरातत्वविदों के अनुसार उन्हें मैक्सिकों की गुफाओं में ऐसे बीज मिले थे जिनसे पता चला था कि इसकी खेती सबसे पहले करीब 10000 साल पहले की गई थी। लेकिन हजारों साल बाद भी इसकी खेती को फायदे का सौदा माना जाता है। भारत में जूकिनी को एक्जोटिक वेजीटेबल की लिस्ट में रखा जाता है। दिन पर दिन इसकी लोकप्रियता में भी इजाफा होता जा रहा है। भारत में भी अब कई किसान जूकिनी की खेती करने लगे हैं।
गर्मी और वसंत ऋतु में भी की जाती है खेती
जूकिनी की खेती गर्मी और वसंत ऋतु में भी की जाती है। जूकिनी को गर्मी की फसल माना जाता है। इसे अक्सर मई के महीने में बोया जाता है। इसे ऐसी जगह पर उगाएं जहां पर कम से कम छह से आठ घंटे तक धूप आती होती। जूकिनी को पनपने के लिए लगातार नम, ऑर्गेनिक तत्वों से भरपूर मिट्टी की जरूरत होती है। जूकिनी एक बेल वाली फसल है जिसे फैलने के लिए बहुत ज्यादा जगह की जरूरत होती है।
कम लागत में अधिक कमाई
जूकिनी की एक एकड़ की खेती में करीब 33000 रुपये से 52 हजार रुपये तक की लागत आती है। इसके एक किलो बीज की कीमत 400 रुपये से 600 रुपये तक आती है। एक एकड़ पर अगर आपने जूकिनी की खेती की है तो आपको एक लाख रुपये से लेकर 1,80,000 रुपये तक का फायदा होता है।