करेला एक ऐसी सब्जी है जिसे सुनते है बच्चों से लेकर बूढ़े तक अपना मुहं बिगाड़ लेते है। इसकी कड़वाहट हर किसी के गले नहीं उतरती। लेकिन फिर भी औषधीय गुणों से भरपूर करेला लोगों का फेवरेट भी है। लेकिन क्या आपने कभी राम करेले के बारे में सूना है। पहाड़ों पर पाए जाने वाला राम करेला गुणों की खान है। करेले को लोग सब्जी के रूप में खूब इस्तेमाल करते हैं क्योंकि उसके औषधीय गुण हैं। इसी तरह राम करेले में भी काफी औषधीय गुण हैं। राम करेला के फल पोटेशियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस का एक अच्छा स्रोत है, जो सेहत के लिए अच्छा है।
पहाड़ों में पाया जाता है राम करेला
राम करेले को भारत में पहाड़ी करेला और मीठा करेला भी कहा जाता है। इसके फल के अंदर का भाग खोखला होता है तथा जिसमें कई काले बीज होते हैं। इसका स्वाद व गंध खीरे की तरह होता है। फलों के बीज निकालकर उसमें अन्य खाद्य पदार्थ, जैसे- चावल, पनीर, मछली आदि भरकर उन्हें पकाकर खाया जाता है। इसलिए इसे स्टफिंग कुकुम्बर भी कहते हैं। इसकी नई टहनियों और पत्तियों को साग के रूप में भी खाया जा सकता है। इस राम करेले की लगभग 30 प्रजातियां हैं।
पौष्टक गुणों से भरपूर
इसके 100 ग्राम फल में पोटेशियम 152 मि.ग्रा. होता है। जबकि 100 ग्राम राम करेले में कैल्शियम 14.0 मि.ग्रा. होता है। वहीं इसके 100 ग्राम फल में फॉस्फोरस 14.0 मि.ग्रा. होता है। 100 ग्राम राम करेले में मैग्नीशियम 8.4 मि.ग्रा. पाया जाता है। इसमें सोडियम की मात्रा बेहद कम होती है।
कई तरह की बिमारियों में असरदार
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इसके फलों का उपयोग शरीर की सूजन, कॉलेस्ट्रॉल और शरीर में शुगर की मात्रा को कम करने में किया जाता है। डाइबटीज के मरीजों के लिए इसके बीजों की चाय लाभदायक है। सूखे बीजों के पाउडर का उपयोग आंतों के परजीवी के उपचार में किया जाता है। पौधों के दूसरे हिस्सों का उपयोग गैस्टोइंटेस्टाइनल समस्याओं, उच्च रक्तचाप, टॉन्सिलाइटिस, संचार समस्याओं, धमनी काठिन्य और मधुमेह के इलाज के लिए किया जाता है।
शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है
इसमें फ्लेवोनोइड मौजूद होते हैं, इनमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं। यह पाया गया है कि इसके सेवन से हृदय रोग में कमी आती है। इसके फल का सब्जी के रूप में प्रयोग करने से पित्ताशय की प्रक्रिया सन्तुलित रहती है तथा यह शरीर में शुगर की मात्रा को भी नियंत्रित करता है।