इस चमत्कारी पौधे को वैज्ञानिकों ने बताया संजीवनी बूटी

लक्ष्मण की जान बचानेवाली संजीवनी बूटी के बारे में हम सभी जानतें हैं। हिमालय की कंदराओं से हनुमान लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लेकर आए थे। लेकिन प्राचीन काल में मौजूद ये चमत्कारी जड़ीबूटी क्या आज भी मौजूद हैं ? इसका जवाब हैं हां.. हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसे पौधे की खोज की है जो न सिर्फ बढ़ती उम्र को रोकता है बल्कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को बनाये रखता है और कैंसर जैसी घातक बीमारी से भी रक्षा करता है।

प्रधानमंत्री के भाषण में भी है सोलो का  जिक्र 

हिमालय के पर्वत शृखंला में पाए जाने वाला यह है सोलो नाम का पौधा। प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने भाषणों में खास तौर पर सोलो नाम के पौधे का जिक्र किया था, जिसका बड़े पैमाने पर औषधीय इस्तेमाल किया जाता है। सोलो हाई एल्टीट्यूड पर रहने वालों और बर्फीली पहाड़ियों पर तैनात जवानों के लिए संजीवनी की तरह काम करता है।

सोलो में कैंसर से लड़ने की क्षमता मौजूद 

सोलो नाम का ये पौधा मूल रूप से लद्दाख के ठंडे और ऊंचाई वाले इलाकों में पाया जाता है। आयुर्वेद के जानकारों का दावा है कि इस पौधे की मदद से शरीर को पर्वतीय परिस्थितियों के अनुरूप ढालने में भी मदद मिलती है। पहाड़ी इलाकों में इसे स्थानीय लोग रोजरूट के नाम से जानते हैं, क्योंकि इसके जड़ों में गुलाब की खुश्बू होती है। 16 हजार से 18 हजार फीट ऊंचाई पर उगने वाले सोलो में कैंसर से लड़ने की क्षमता भी मौजूद है।

चमत्कारी जड़ी-बूटी है सोलो

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एक चमत्कारी जड़ी-बूटी है, जो इम्यून सिस्टम को ठीक रखता है। सोलो रेडियो-एक्टिविटी से शरीर को बचाता है। वैज्ञानिकों ने इस जड़ी-बूटी को ‘रोडियोला’ नाम दिया है।

सियाचिन में तैनात जवानों के लिए बहुउपयोगी 

लेह स्थित डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यूड रिसर्च के वैज्ञानिकों का दावा है कि यह औषधि सियाचिन जैसी प्रतिकूल जगहों पर रह रहे भारतीय सेना के जवानों के लिए चमत्काररिक साबित हो सकती है। ये औषधि अवसाद को कम करने और भूख बढ़ाने में भी लाभकारी है। सियाचिन जैसे दुर्गम इलाकों में जवानों में डिप्रेशन और भूख कम लगने की समस्या के इलाज में फायदेमंद है। डीआरडीओ काफी सालों से हर्बल पर काम कर रहे हैं। सोलो को मॉडर्न एज में संजीवनी कहा जा रहा है, इसके कल्टीवेशन टेक्नीक पर काम किया जा रहा है।

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