उत्तप्रदेश के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। दरअसल, मध्य प्रदेश में पहले से ही गर्मियों में तिल की खेती होती है, जिसके तहत अब उत्तप्रदेश के किसान भी गर्मियों में तिल की खेती कर सकते है।
कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में गर्मियों में तिल की खेती के लिए एक नया शोध कार्य शुरू हो रहा है। यह प्रयोग सफल रहा तो उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए यह बेहद फायदेमंद होगा। गर्मी और सर्दी दोनों सीजन में तिल की फसल उगाकर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकेंगे।
मध्यप्रदेश से मंगाए गए 16 किस्मों के बीज
मध्य्प्रदेश से AVTS 1 से लेकर AVTS 16 तक के प्राजतियों के बीज मंगाए गए है। इस प्रयोग में गर्मी के मौसम में तिल की विभिन्न प्रजातियों की वैज्ञानिक जाँच की जा रही है, जो कि तिल की पौधशाला को 16 भागों में विभाजित करके किया जा रहा है। वैज्ञानिक इस प्रयोग में इस बात की जाँच कर रहे हैं कि कौन सी प्रजाति किस प्रकार से विकसित हो रही है और कितनी उपज प्राप्त हो सकती है। तिल की फसल जो लगभग 75 से 80 दिन में पूरी तरह से पक जाती है, उसे अब इस प्रयोग के बाद कुछ ही दिनों में हार्वेस्ट किया जा सकेगा।
तिल की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण बाते :
तिल की खेती के लिए गर्मी का मौसम अत्यंत अनुकूल होता है। प्रोफेसर राम बटुक सिंह, कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग के प्रभारी, ने बताया कि तिल का पौधा उष्ण कटिबंधीय जलवायु में अच्छे से उगता है।
इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली भूमि अवश्यक है, लेकिन यह बरसाती जल की ज्यादा आवश्यकता नहीं रखता। तिल के पौधे की अधिक वृद्धि के लिए, 25 से 27 डिग्री तापमान अत्यंत अनुकूल माना जाता है। यहां तक कि यह पौधा 40 डिग्री का सामान्य तापमान भी आसानी से सह सकते हैं।
तिल की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी का चयन करना किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, जिससे उन्हें अधिक उत्पादन और अधिक मुनाफा हासिल करने में मदद मिल सकती है।
मध्य प्रदेश में सबसे अधिक होती है तिल की खेती
मध्य प्रदेश में सबसे अधिक तिल की फसल होती है। यहां ग्रीष्मकाल में भी तिल की फसल की जाती है। उसी की तर्ज पर अब यूपी में भी गर्मी में तिल की फसल को उगाई जाने की तैयारी की गई है। तिल का प्रयोग अधिकतर तेल बनाने में किया जाता है। तिल की खेती महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में बड़े पैमाने पर की जाती है।