भारत सरकार ने चीनी निर्यात प्रतिबन्ध को जारी रखा है। बढ़ती महंगाई और आगामी चुनाव के मद्देनजर सरकार ने यह निर्णय लिया है। इस फैसले से आम आदमी को भले ही राहत मिली हो लेकिन चीनी मीलों की मुसीबते बढ़ गई हैं। देखा जाये तो इस साल चीनी का उत्पादन रिकॉर्ड तोड़ रहा है, बावजूद इसके सरकार ने निर्यात की इजाजद न देकर चीनी मीलों की मुश्किलें बढ़ा दी है। हालाँकि राहत भरी खबर यह है की सरकार ने अतिरिक्त चीनी स्टॉक को इथेनॉल प्रोडक्शन के लिए इस्तेमाल की परमिशन दे दी है।
भारतीय चीनी मिल संघ (ISMA) ने सरकार से 2023-24 सीज़न में 10 लाख टन चीनी के निर्यात की मंजूरी देने का अनुरोध किया है, और उसे आशा है कि सीज़न के अंत तक पर्याप्त भंडार हो जाएगा।
3 करोड़ के पार चीनी का उत्पादन
अगर हम मौजूदा शुगर ईयर की बात करें, तो मार्च तक देश का चीनी उत्पादन 3 करोड़ टन को पार कर चुका था। ISMA ने 2023-24 सीज़न के लिए शुद्ध चीनी उत्पादन के अनुमान को 3.2 करोड़ टन पर संशोधित किया है। सरकार भी इस सीज़न के लिए 3.15-3.2 करोड़ टन चीनी का अनुमान लगा रही है।
इथेनॉल प्रोडक्शन की मिली अनुमति
हालांकि, चीनी इंडस्ट्री के लिए एक राहतदायक विकल्प यह है कि सरकार ने चीनी मिलों को अतिरिक्त स्टॉक का उपयोग इथेनॉल प्रोडक्शन के लिए करने की इजाजत दे दी है। इस खबर से चीनी कंपनियों के शेयरों में तेजी भी देखने को मिली थी।
अधूरी जानकारी पर सरकार हुई सख्त
सरकार चीनी मिलों के साथ अधूरी जानकारी के मामले में काफी सख्त है। सरकार ने मिलों से GST, डिस्पैच डाटा, और स्टॉक होल्डिंग के मिसमैच के मामले में सख्ती दिखाई है और जानकारी प्रस्तुत करने की मांग की है।