देश और दुनिया में आम आदमी के लिए सबसे बड़ी मुसीबत महंगाई बनी हुई है। भारत में महंगाई की मार अब एक बार फिर खाद्य वस्तुओं पर पड़ने वाली है। इस महंगाई का सबसे बड़ा कारण मौसम है जिसकी वजह से फसलों के उत्पादन में तेज़ी से कमी आ रही है। प्याज और बागबानी फसलों में गिरवाट और सब्ज़ियों के दामों में उछाल ने आम आदमी को टेंशन में डाल दिया है।
खाद्य वस्तुओ में 30 प्रतिशत महंगाई
महंगाई की सबसे अधिक मार खाद्य वस्तुओं पर पड़ी है। इस महंगाई ने आम आदमी के बजट को पूरी तरह से बिगाड़ कर रख दिया है। बदलते मौसम की वजह से सब्ज़ियों के दाम बढ़ रहें हैं। ऐसे में आने वाले मौसम को देखते हुए सब्ज़ियों के और दाम बढ़ने की पूरी उम्मीद है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक खाने पीने की चीज़ो में महंगाई का योगदान पिछले साल से अभी तक 30% रहा है।
भारत में महंगाई से आम आदमी परेशान
पिछले कई सालों से पूरी दुनिया में कहीं युद्ध तो कहीं महामारी ने उथलपुथल मचा राखी है। महंगाई की आग से अमेरिका भी नहीं बच पाया। हालाँकि भारत ने महंगाई में बढ़ोतरी को एक तय सीमा से ऊपर नहीं जाने दिया, लेकिन भारत में खाने-पीने के सामान की महंगाई ने लगातार सरकार और आम लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी। इस साल भी खुदरा महंगाई दर के 6 फीसदी से नीचे आने के बावजूद इससे जुड़े जोखिम कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं।
बढ़ते तापमान से बढ़ेंगे सब्जियों के दाम
मौसम के बदलते मिजाज के बीच कम उत्पादकता के चलते खाने-पीने के चीजों के दाम काफी तेजी से बढ़े हैं। बीती सर्दियों में भी सब्जियों की कीमतों में कमी के सभी अनुमान धराशाई हो गए थे। बढ़ते तापमान के असर से आने वाले महीनों में सब्जियों की कीमतों में उछाल आने की आशंका जताई जा रही है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक खाने-पीने की चीजों का रिटेल महंगाई में योगदान पिछले साल अप्रैल के महीने से लेकर इस साल के मार्च महीने तक 30 फीसदी रहा है।
बागबानी फसलों में देखने को मिली भारी गिरावट
लगातार बदलते मौसम का असर फसलों पर भी देखने को मिला है। कृषि मंत्रालय ने अनुमान लगाया है की इस साल प्याज के उत्पादन में 20%की गिरावट देखने को मिल सकती है। इस साल प्याज का उत्पादन 190 लाख टन रहने का अनुमान है, वही बागबानी फसलों का उत्पादन 35 टन करोड़ रहने का अनुमान है।