भारत में आंध्रा प्रदेश में बड़े पैमाने पर पाम ऑयल की खेती की जाती है। हालही में केंद्र सरकार ने पाम ऑयल पर अन्य देशों पर निर्भरता को कम करने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी यानी आयात शुल्क बढ़ा दिया है। केंद्र सरकार के पाम तेल पर इस एलान से आंध्र प्रदेश के उन तमाम किसानों में ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी है जो आंध्रा प्रदेश में तेल की खेती करते हैं।
आंध्र प्रदेश देश का वह राज्य है जो पाम ऑयल की खेती में अग्रणी है। यहां का पश्चिमी गोदावरी जिला पाम ऑयल का सबसे बड़ा उत्पादक है। अनुकूल जलवायु होने की वजह से यहां के हजारों किसान ऑयल पाम की खेती कर रहे हैं। केंद्र सरकार की तरफ से एडिबल ऑयल आयात को कम करने के लिए पाम ऑयल की खेती पर सब्सिडी भी दी जा रही है।
सरकार की तरफ से सहायता :
सब्सिडी की बढ़ोतरी: वित्तीय वर्ष की शुरुआत में प्रोत्साहन राशि को 30,000 रुपये प्रति हेक्टेयर बढ़ाने से किसानों को खेती में निवेश की सहूलियत मिलेगी और वे अधिक प्रतिफल पा सकेंगे।
मुफ्त पौधा: 15 हेक्टेयर के लिए मुफ्त पौधे मिलने से किसान अधिक फसल उत्पादन के लिए नए पौधे लगा सकेंगे, जिससे उनकी उत्पादकता और आय दोनों में वृद्धि होगी।
अंतर-फसल सब्जियां: अपने पाम ऑयल बागानों में अंतर-फसल के रूप में सब्जियां उगाने से किसान अधिक आय पा सकेंगे और किसानों को पाम ऑयल की खेती के साथ साथ कमाई का एक और जरिया मिलेगा। अंतर फसल के लिए सरकार की ओर से 7000 की राशि दी जा रही है।
जैविक खाद उत्पादन: किसानों को जैविक खाद उत्पादन के लिए कंपोस्ट यार्ड स्थापित करने के लिए 15,000 रुपये की सहायता दी जा रह है जिससे वे अपनी खेती को प्राकृतिक तरीके से प्रबंधित कर सकेंगे और उत्पादन में वृद्धि कर सकेंगे।
10 लाख रुपये तक की आय :पाम ऑयल की खेती वास्तव में किसानों के लिए अच्छा विकल्प है जिससे किसान प्रति एकड़ अधिकतम 90000 रुपये से दस लाख रुपये तक कमा सकते हैं लेकिन इसके लिए कुछ बातों पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है।
इन बातों का रखना होगा विशेष ध्यान :
कटाई का समय: पाम ऑयल की खेती में सही समय पर कटाई करना महत्वपूर्ण है। इससे उपज में वृद्धि होती है और फलों की गुणवत्ता भी अधिक होती है।
जल संचयन: पाम ऑयल की खेती में जल संचयन का महत्व है। क्योंकि यह फसल को प्राकृतिक रूप से अधिक ऊर्जा प्रदान करता है और खेती के लिए पानी की जरूरत कम होती है।
रख-रखाव: फसल की सही देखभाल और रख-रखाव भी महत्वपूर्ण है। इसमें उर्वरक, कीटनाशक, और जल स्तर ध्यान से प्रयोग करना चाहिए।
जागरूकता: किसान जागरूकता अभियान में, किसानों को पाम ऑयल की खेती के लिए सही तकनीकों, जैसे कि बीमारियोंऔर कीटों से बचाव, की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।